घर में ज्यादा से ज्यादा कितनी रख सकते हैं चांदी? जान लें RBI का नियम
भारत में चांदी को न सिर्फ आभूषण या बर्तनों में इस्तेमाल किया जाता है, बल्कि इसे निवेश और संपत्ति संरक्षण का पारंपरिक जरिया भी माना जाता है. हालांकि सोने की तरह चांदी के लिए कोई तय सीमा या लिमिट नहीं है.
इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अनुसार, आप अपने घर में कितनी भी मात्रा में चांदी रख सकते हैं, बशर्ते वह कानूनी तरीके से खरीदी या विरासत में मिली हो. यानी न तो RBI और न ही इनकम टैक्स विभाग ने घरेलू उपयोग या निवेश के लिए चांदी की मात्रा पर कोई पाबंदी लगाई है.
लेकिन यहां एक अहम बात समझना जरूरी है कि चांदी खरीदते समय उसकी रसीद या बिल संभालकर रखना बेहद जरूरी है. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर भविष्य में कभी इनकम टैक्स विभाग जांच करता है और आपके पास खरीद का कोई दस्तावेज नहीं है, तो उसे अनडिक्लेयरड एसेट या अघोषित संपत्ति माना जा सकता है.
इस स्थिति में टैक्स के साथ जुर्माना भी लग सकता है. इसलिए चाहे आपने चांदी किसी ज्वैलर, डीलर या ऑनलाइन पोर्टल से खरीदी हो, उसका असली बिल हमेशा सुरक्षित रखें.
अब बात करते हैं टैक्स की. अगर आप चांदी को सिर्फ रखने के बजाय निवेश के रूप में देखते हैं और बाद में बेचकर मुनाफा कमाते हैं, तो इस पर टैक्स के नियम लागू होते हैं. उदाहरण के लिए, अगर आपने चांदी को 24 महीने से पहले बेच दिया, तो यह शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेंस (STCG) के तहत आएगा और इस पर आपकी इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा.
वहीं अगर आपने चांदी को 24 महीने से ज्यादा समय तक रखा और उसके बाद बेचा, तो यह लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) माना जाएगा. नए नियमों के मुताबिक, 23 जुलाई 2024 या उसके बाद खरीदी गई चांदी पर 12.5% टैक्स लगेगा और इस पर इंडेक्सेशन का फायदा नहीं मिलेगा. वहीं 23 जुलाई 2024 से पहले खरीदी गई चांदी पर 20% LTCG टैक्स लगेगा, जिसमें इंडेक्सेशन का लाभ मिलेगा, यानी महंगाई को एडजस्ट करके टैक्स कम देना होगा.
अगर आपने फिजिकल चांदी के बजाय Silver ETF या सिल्वर म्यूचुअल फंड में निवेश किया है, तो टैक्स के नियम लगभग समान हैं. बस फर्क इतना है कि इसमें खरीद-बिक्री ऑनलाइन होती है और निवेश के सबूत पहले से मौजूद रहते हैं, इसलिए टैक्स क्लेम करना आसान होता है. संक्षेप में कहा जाए तो चांदी पर किसी तरह की रखने की सीमा नहीं है, लेकिन कानूनी दस्तावेजों का होना बहुत जरूरी है.