किस म्युचुअल फंड में लगाना चाहिए पैसा, जानें क्या हैं फ्लेक्सी और मल्टी कैप फंड?
फ्लेक्सी और मल्टी कैप फंड दो ऐसे ऑप्शन हैं जो निवेशकों के बीच काफी पॉपुलर हैं. दोनों में इक्विटी मार्केट में निवेश होता है, लेकिन इनकी रणनीति अलग होती है. सही चुनाव करने के लिए इनके बीच का फर्क समझना जरूरी है.
फ्लेक्सी कैप फंड नाम के मुताबिक लचीले होते हैं. यह फंड बड़ी, मिड और स्मॉल कैप कंपनियों में एक साथ निवेश कर सकते हैं. फंड मैनेजर को बाजार की स्थिति के हिसाब से निवेश बदलने की आज़ादी होती है. यानी जब बड़ी कंपनियों में रिस्क बढ़े. तो वह मिड या स्मॉल कैप में शिफ्ट हो सकते हैं.
इस फंड का सबसे बड़ा फायदा इसका डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो है. इसमें निवेश कई सेक्टरों और कंपनियों में फैला होता है. जिससे रिस्क कम हो जाता है. मार्केट गिरने पर भी फंड मैनेजर रणनीति बदलकर नुकसान को सीमित कर सकते हैं. लंबी अवधि के निवेशकों के लिए यह काफी बेहतर ऑप्शन है.
मल्टी कैप फंड में निवेश का बंटवारा तय होता है. सेबी के नियम के मुताबिक फंड को कम से कम 25% हिस्सा लार्ज, मिड और स्मॉल कैप कंपनियों में निवेश करना ही होता है. यानी इन फंड्स में हर साइज की कंपनी का बैलेंस बना रहता है. जिससे ग्रोथ और स्टेबिलिटी दोनों मिलती है.
इन फंड्स में हर सेगमेंट में हिस्सेदारी फिक्स होने से निवेश स्टेबल रहता है. लार्ज कैप कंपनियां स्थिरता देती हैं. जबकि मिड और स्मॉल कैप ग्रोथ बढ़ाती हैं. इससे पोर्टफोलियो का बैलेंस बना रहता है. जो इन्वेस्टर बैलेंस्ड रिस्क के साथ अच्छा रिटर्न चाहते हैं. उनके लिए यह सही ऑप्शन है.
अगर आप चाहते हैं कि फंड मार्केट के उतार-चढ़ाव के अनुसार खुद को एडजस्ट करे. तो फ्लेक्सी कैप फंड बेहतर रहेगा. वहीं अगर आप फिक्सड ढांचे वाला स्टेबल निवेश पसंद करते हैं. तो मल्टी कैप फंड सही रहेगा. यह दोनों ही लंबे समय के निवेश के लिए अच्छे हैं. बस अपनी रिस्क अबेलिटी के हिसाब से सिलेक्ट करें.