फाइटर प्लेन में कितने टन का होता है एसी, पायलट को कैसे मिलती है ठंडी-ठंडी हवा?
फाइटर जेट में वाकई कूलिंग सिस्टम होता है, लेकिन यह घर या ऑफिस में लगे साधारण एयर कंडीशनर जैसा नहीं होता. इसे तकनीकी भाषा में Environmental Conditioning System यानि ECS कहा जाता है.
इसका मकसद सिर्फ पायलट को आराम देना ही नहीं है, बल्कि विमान के अंदर मौजूद जटिल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, रडार और सेंसर को भी सही तापमान पर बनाए रखना है, ताकि वे ज्यादा गर्मी में खराब न हों.
आम तौर पर लोग सोचते हैं कि जेट में भी घर की तरह टन के हिसाब से एसी होता होगा, लेकिन ऐसा नहीं है. फाइटर जेट के एसी की क्षमता किलोवाट में मापी जाती है.
ऐसा इसलिए क्योंकि विमान को तेज रफ्तार, ऊंचाई और दबाव जैसी परिस्थितियों में स्थिर तापमान बनाए रखना होता है.
फाइटर जेट्स की तकनीक लगातार अपडेट हो रही है. आधुनिक विमानों में लगे हाई-टेक रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम को अतिरिक्त ठंडक की जरूरत पड़ती है.
उदाहरण के लिए देखें तो Lockheed Martin F-35 Lightning II में शुरुआत में लगभग 14 kW कूलिंग क्षमता थी, बाद में इसे बढ़ाकर 30-32 kW किया गया और अब F-35 Block 4 वर्जन में यह क्षमता करीब 47 kW तक पहुंच गई है.
जानकारों का कहना है कि भविष्य में इसे 60 kW तक ले जाने की योजना है. कूलिंग तकनीक में तेजी से विकास हो रहा है. Collins Aerospace कंपनी ने Enhanced Power and Cooling System विकसित किया है, जिसकी क्षमता 80 kW तक पहुंच चुकी है.