स्पेस में सबकुछ तो उड़ता रहता है तो खाने में नमक कैसे डालते हैं एस्ट्रोनॉट्स?
अंतरिक्ष में खासतौर से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) जैसे वातावरण में, ग्रेविटी शून्य होती है. इसका मतलब है कि ठोस और तरल पदार्थ हवा में तैरते हैं.
अगर कोई एस्ट्रोनॉट सामान्य तरीके से नमक छिड़केगा तो नमक के दाने कमरे में या खाने के चारों ओर उड़ सकते हैं. इससे न केवल खाने के स्वाद पर असर होता है, बल्कि डिवाइस या इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के लिए खतरा भी पैदा हो सकता है.
अंतरिक्ष एजेंसियों ने इस समस्या का समाधान खोज लिया है. सबसे आम तरीके हैं, नमक छोटे पैकेट या पाउच में लिक्विड फॉर्म में बंद होता है. इसे सीधे खाने के ऊपर दबाकर डाला जाता है. इस प्रक्रिया से नमक हवा में नहीं उड़ता है.
NASA और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों ने ऐसा नमक विकसित किया है जो छोटे, नियंत्रित दानों में आते हैं. इन्हें स्पेस फ्रेंडली कहा जाता है, क्योंकि ये बिना उड़े आसानी से खाने में मिल जाते हैं.
अक्सर अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले खाने में पहले से ही नमक और मसाले शामिल होते हैं. इससे एस्ट्रोनॉट्स को अलग से नमक डालने की जरूरत बहुत कम हो जाती है.
लिक्विड या सॉस के लिए स्ट्रॉ या ट्यूब का इस्तेमाल होता है. कभी-कभी नमक को भी इसी तरह छोटे कंटेनरों में रखा जाता है और सीधे खाने में मिलाया जाता है.
गुरुत्वाकर्षण न होने पर अगर नमक उड़ जाए तो वह खाने के अलावा अन्य सतहों और उपकरणों पर जमा हो सकता है. इससे उपकरणों को नुकसान होने का खतरा रहता है और साफ-सफाई मुश्किल हो जाती है.