हमेशा डॉलर में ही क्यों दिया जाता है मैन ऑफ द मैच का कैश प्राइज? नहीं जानते होंगे ये बात
क्रिकेट टूर्नामेंट्स और सीरीज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होते हैं. इनमें कई देशों के खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं. ऐसे में अगर इनाम किसी एक देश की करेंसी में दिया जाए, तो बाकी देशों के खिलाड़ियों के लिए उसे कन्वर्ट करना मुश्किल हो सकता है.
डॉलर को ग्लोबल करेंसी कहा जाता है, क्योंकि यह हर देश की करेंसी में आसानी से बदला जा सकता है. यही वजह है कि डॉलर मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड के लिए एक न्यूट्रल और सुविधाजनक विकल्प है.
मैन ऑफ द मैच का कैश प्राइज सीधे तौर पर स्पॉन्सर्स या इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ICC से जुड़ा होता है. चूंकि ICC की अधिकांश फाइनेंशियल डीलिंग्स डॉलर बेस्ड होती हैं, इसलिए प्राइज मनी भी उसी करंसी में तय की जाती है.
यह खिलाड़ियों को पेमेंट ट्रांसफर करने और अकाउंटिंग करने की प्रक्रिया को आसान बनाता है. भारतीय रुपये, पाकिस्तानी रुपये या अन्य एशियाई करेंसी की तुलना में डॉलर की वैल्यू ज्यादा स्थिर होती है. क्रिकेट स्पॉन्सर्स और बोर्ड्स के लिए यह एक सुरक्षित करेंसी है.
इसमें न तो एक्सचेंज रेट में ज्यादा फर्क पड़ता है और न ही वित्तीय जोखिम बढ़ता है. अंतरराष्ट्रीय कंपनियां जैसे Mastercard, Pepsi, Aramco या MRF स्पॉन्सरशिप करती हैं.
इनके लिए डॉलर में अवॉर्ड देना उनकी ग्लोबल इमेज और ब्रांड वैल्यू को बनाए रखने का हिस्सा होता है. इससे स्पॉन्सरशिप कॉन्ट्रैक्ट्स भी स्टैंडर्डाइज हो जाते हैं.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में टैक्सेशन और बैंकिंग से जुड़े नियम बड़े जटिल होते हैं. ऐसे में डॉलर में भुगतान करने से न केवल ट्रांसपेरेंसी बनी रहती है, बल्कि सभी देशों में खिलाड़ियों के लिए टैक्स और बैंकिंग से जुड़े मामलों को सुलझाना आसान हो जाता है.