Snipers Training: कैसे होती है स्नाइपर्स की ट्रेनिंग, जानें किसके नाम है नंबर 1 का रिकॉर्ड?
स्नाइपर की ट्रेनिंग केवल बंदूक चलाने तक सीमित नहीं होती है. सबसे पहले, उन्हें सटीक निशाना लगाने की तकनीक सिखाई जाती है. इसमें हवा की दिशा, दूरी, मौसम, और लक्ष्य की गति को एक साथ पढ़ना सीखना पड़ता है.
इसके बाद आता है स्टील्थ और छुपने की कला, ताकि वे बिना देखे और सुने, दुश्मन की सीमा में प्रवेश कर सकें. इसके साथ-साथ, स्नाइपर्स को मानसिक सहनशीलता की ट्रेनिंग दी जाती है, क्योंकि कई बार उन्हें घंटों, या कभी-कभी दिनों तक एक ही जगह स्थिर रहकर लक्ष्य का इंतजार करना पड़ता है.
स्नाइपरों की तैयारी एक सटीक और कड़ी मेहनत से भरा सफर है. शारीरिक स्तर पर उन्हें ताकत, सहनशीलता और फुर्ती दोनों विकसित करनी पड़ती है. इसमें भारी उपकरणों के साथ लंबी मार्च, ऊबड़‑खाबड़ इलाके में चलना और कठोर मौसम में जीवित रहने की प्रैक्टिस शामिल होती है.
मानसिक रूप से उन्हें असाधारण संयम सिखाया जाता है, जैसे लंबे समय अकेले रहकर, नींद कम लेकर और अत्यधिक तनाव में भी खुद को शांत और फोकस्ड रखना आता है. निशानेबाजी की ट्रेनिंग में दूरी‑माप, गोली का ट्रेजेक्ट्री समझना और हवा‑तापमान जैसी पर्यावरणीय बदलाओं के अनुसार छोटी‑छोटी कटियां करना सिखाया जाता है, ताकि दूरी पर भी हर शॉट सटीक निकले.
सामरिक प्रशिक्षण में आधुनिक बैलिस्टिक टूल्स, रेंज‑फाइंडर, उच्च क्षमतावाला दुर्गमी राइफल और अन्य उपकरणों का इस्तेमाल सिखाया जाता है.
इतिहास में ऐसे कई नाम हैं, जिन्होंने इस कला में अपनी छाप छोड़ी है. सबसे महान और खतरनाक स्नाइपर माने जाते हैं सिमो हैहा, जिन्हें ‘द व्हाइट डेथ’ भी कहा जाता है. उन्होंने शीतकालीन युद्ध में 500 से अधिक दुश्मन सैनिकों को मार गिराया था.
उनके बाद आते हैं वासिली ग्रिगोरिविच जैतसेव, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उनके नाम 242 हत्याओं के रिकॉर्ड हैं. महिला स्नाइपरों में ल्यूडमिला मिखाइलोव्ना पावलीचेंको का नाम शामिल है, जिन्होंने 309 लोगों को निशाना बनाया था.
भारत में लकी बिष्ट को सर्वश्रेष्ठ स्नाइपर माना जाता है. उनकी सटीकता और साहस ने उन्हें दुनिया के टॉप स्नाइपरों में खड़ा कर दिया है. भारतीय सेना की ओर से वे कई खतरनाक ऑपरेशनों में शामिल रहे हैं, और उनकी निशाना क्षमता ने देश की सुरक्षा को मजबूत किया है.