मुगल ही नहीं, अंग्रेज भी भारत के इस राज्य को कभी नहीं बना पाए गुलाम, जान लें इसका नाम
भारत का एक छोटा सा तटीय राज्य है गोवा, जो कि अपने पोर्ट, व्यापारिक महत्व और पुर्तगाली शासन के कारण विदेशी साम्राज्यों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रहा, लेकिन इतिहास इस बात का गवाह है कि मुगलों और अंग्रेजों दोनों के लिए गोवा को पूरी तरह गुलाम बनाना मुमकिन नहीं हुआ.
गोवा का इतिहास 16वीं सदी से पुर्तगालियों के अधीन रहा. 1510 में पुर्तगाल ने गोवा पर कब्जा किया और इसे अपना औपनिवेशिक केंद्र बनाया. मुगलों के समय में भारत के अधिकांश हिस्सों पर उनके प्रशासन और नियंत्रण का विस्तार था, लेकिन गोवा पुर्तगालियों के हाथ में सुरक्षित रहा.
मुगलों ने कई बार राजनीतिक और आर्थिक दबाव डालने की कोशिश की, लेकिन समुद्री शक्ति और यूरोपीय सामरिक तकनीक के कारण गोवा उनके नियंत्रण में नहीं आया.
ब्रिटिश शासन के दौरान भी गोवा स्वतंत्र रहा. 17वीं से 19वीं सदी तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय उपमहाद्वीप में व्यापारिक और प्रशासनिक प्रभुत्व जमाया, लेकिन गोवा पुर्तगाली कब्जे में था और ब्रिटिश इसे सीधे अपने कंट्रोल में नहीं कर पाए.
ब्रिटिश और पुर्तगाल के बीच कई संधियां भी हुईं, जिसमें गोवा पुर्तगाल का संरक्षित क्षेत्र बना रहा. यही वजह है कि गोवा न तो मुगलों के अधीन आया और न ही अंग्रेजों के अधीन.
गोवा की भौगोलिक स्थिति, समुद्री शक्ति, और पुर्तगाली प्रशासनिक नीतियां इसे दोनों साम्राज्यों के लिए नियंत्रण से बाहर रखती थीं. पुर्तगाल ने गोवा में अपने प्रशासन, संस्कृति और शिक्षा प्रणाली को विकसित किया, जिससे गोवा ने एक अलग पहचान बनाए रखी.
1947 में भारत स्वतंत्र हुआ, लेकिन गोवा अभी भी पुर्तगाली शासन के अधीन था. भारत ने 1961 में सशस्त्र सैन्य अभियान ऑपरेशन विजय के जरिए गोवा को भारतीय संघ में शामिल किया.