रेलवे स्टेशन पर झगड़ा हो जाए तो कौन देखेगा, जीआरपी या आरपीएफ?
अगर आपने ट्रेन में सफर किया होगा तो आपको दो तरह के जवान स्टेशन के आसपास दिखाई दिए होंगे. एक जीआरपी यानी गवर्नमेंट रेलवे पुलिस के तो दूसरे आरपीएफ यानी रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के जवान. इनकी यूनिफॉर्म में फोर्स का नाम दर्ज होता है.
अब ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल आता है कि अगर रेलवे स्टेशन पर किसी का झगड़ा होता है. तो ऐसे में कौन इस मामले पर कार्रवाई करता है. क्या गवर्नमेंट रेलवे पुलिस यानी जीआरपी के इस मामले को देखेगी या फिर आरपीएफ यानी रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स.
तो आपको बता दें दोनों ही सुरक्षा बल अलग तरीके से काम करते हैं. जीआरपी एक राज्य पुलिस बल है जो रेलवे स्टेशन और प्लेटफार्म हो यात्रियों और रेलवे संपत्ति से जुड़े अपराधों को संभालती है. इसमें चोरी, मारपीट, हत्या, दुष्कर्म और यात्री सुरक्षा जैसे मामले शामिल होते हैं. यह संवैधानिक अपराधों पर कार्रवाई करता है.
वहीं अगर आरपीएफ की बात की जाए तो यह एक केंद्रीय अर्ध सैनिक बल है. जो मुख्य तौर पर रेलवे संपत्ति ट्रेनों और रेलवे कर्मचारियों की सुरक्षा करता है. यह रेलवे अधिनियम के तहत अपराधों पर कार्रवाई करता है.
यानी अगर रेलवे स्टेशन पर कोई झगड़ा कर रहा है या फिर मारपीट कर रहा है. तो ऐसे में इन मामलों की देखरेख जीआरपी यानी गवर्नमेंट रेलवे पुलिस करती है. और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत अपराध दर्ज करती है.
वहीं रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के पास फिर दर्ज करने का अधिकार नहीं होता. सिवाय कुछ विशेष परिस्थितियों के, लेकिन उनमें भी यह अपराधियों को पकड़ के जीआरपी के हवाले कर देती है. अगर ट्रेन में भी झगड़ा होता है. तब भी मामला जीआरपी देखती है.