इथियोपिया में बदल गई टाइम मशीन, 2025 की जगह 2018 में ही जी रहे लोग! कितनी सच है यह बात?
दुनिया जब 2025 में है तो इथियोपिया आधिकारिक तौर पर 2018 में चल रहा है. यह बात पहली बार सुनने पर किसी टाइम मशीन जैसी लगती है. लेकिन इसकी जड़ें इतिहास, धर्म और कैलेंडर प्रणाली में छिपी हैं. इथियोपिया दुनिया के उन कुछ देशों में शामिल है जहाँ आज भी अपना अलग पारंपरिक कैलेंडर चलता है.mage 1
इथियोपिया अफ्रीका का एक अनोखा और ऐतिहासिक देश है, जिसकी संस्कृति, कैलेंडर और धार्मिक महत्व दुनिया से बिल्कुल अलग पहचान रखते हैं.
आज पूरे विश्व में लोग साल 2025 में जी रहे हैं, हालांकि अलग अलग महाद्वीपों में समय का अंतर हो सकता है लेकिन एशिया से लेकर यूरोप तक सभी महाद्वीपों में साल 2025 ही चल रहा है. लेकिन इथियोपिया में अभी साल 2018 चल रहा है जिसकी मुख्य वजह है इथियोपिया का ग्रेगोरियन कैलेंडर को ना मानना. इसलिए यह देश पूरी दुनिया के मुकाबले 7 से 8 साल पीछे चल रहा है.
1582 में यूरोप ने ग्रेगोरियन कैलेंडर के तहत लीप ईयर व तारीख और तिथि सुधार लागू किए, लेकिन इथियोपिया ने यह सुधार नहीं अपनाया और अपनी पुरानी कैलेंडर गणना को ही जारी रखा.
इथियोपिया अफ्रीका के मुख्य ईसाई देशों में से एक है, यहां इसकी जनसंख्या लगभग 67% के आसपास है. यह देश प्राचीन समय में ईसाई संस्कृति का केंद्र बिंदु भी था. यूरोप और दुनिया भर में इस्तेमाल होने वाला ग्रेगोरियन कैलेंडर यीशु के जन्म को 1 ईस्वी मानकर शुरू होता है. लेकिन इथियोपिया कैलेंडर के विद्वानों ने ऐतिहासिक गणनाओं के आधार पर यीशु का जन्म 7–8 साल बाद का माना.
जहां पूरी दुनिया में कैलेंडर 12 महीने का होता है वही इथियोपिया एकमात्र ऐसा देश है जहां कैलेंडर 13 महीने का होता है और हर महीना 30 तारीख तक होता है, लेकिन आखरी महीने में दिन सिर्फ 5–6 दिन ही होते हैं. साल के अंतिम महीने को पगुमे कहते हैं.
इथियोपिया चौथी सदी में ही ईसाई धर्म अपनाने वाले देशों में शामिल था. यहाँ का “इथियोपियन ऑर्थोडॉक्स चर्च” दुनिया के सबसे पुराने चर्चों में से एक माना जाता है. पुराने धार्मिक ग्रंथ, चर्च और परंपराएँ आज भी उसी रूप में कायम हैं.
दुनिया में कॉफी की खोज इथियोपिया में ही हुई थी. यहाँ के काफा क्षेत्र से “कॉफी” शब्द की शुरुआत मानी जाती है. आज भी इथियोपियन कॉफी दुनिया की सबसे प्रसिद्ध कॉफियों में गिनी जाती है.