लैंडिंग या फिर टेकऑफ, कब सबसे ज्यादा खर्च होता है प्लेन का तेल? ये रहा जवाब
सबसे पहले यह जान लीजिए कि किसी कमर्शियल प्लेन की टंकी में कितना तेल भरा जा सकता है. जानकारी के मुताबिक, एयरबस A380 में करीब 320,000 लीटर फ्यूल आ सकता है. वहीं, बोइंग 747 में करीब 180,000 लीटर फ्यूल कैपेसिटी होती है.
इस तरह किसी हवाई जहाज में कितना फ्यूल भरा जा सकता है, यह विमान के फ्यूल टैंक के साइज, जहाज के वजन, फ्लाइंग डिस्टेंस और मौसम की स्थिति पर निर्भर करता है. कुछ छोटे पैसेंजर एयरक्राफ्ट में 20 से 35 हजार लीटर ही फ्यूल कैपेसिटी होती है.
किसी भी हवाई यात्रा के दौरान जहाज को बड़ी मात्रा में फ्यूल की जरूरत पड़ती है, जिसकी वजह है उनका फ्यूल कंजप्शन. बोइंग 737 को उड़ान के दौरान हर सेकेंड लगभग 4 लीटर फ्यूल की जरूरत होती है. यानी एक मिनट में इस विमान में 240 लीटर फ्यूल खर्च हो जाता है.
इस तरह बोइंग 737 विमान में 1 किलोमीटर में करीब 12 लीटर फ्यूल कंजप्शन होता है. वहीं अगर एयरबस A32 की बात करें तो यह विमान एक घंटे में 14 हजार लीटर से ज्यादा फ्यूल खर्च करता है.
किसी भी विमान को लैंडिंग की तुलना में टेकऑफ के दौरान ज्यादा फ्यूल की जरूरत पड़ती है. दरअसल, जब विमान टेक ऑफ कर रहा होता है तो उड़ान भरने के लिए उसके इंजन अपनी पूरी क्षमता से काम करना शुरू कर देते हैं. इस दौरान फ्यूल कंजप्शन काफी ज्यादा होता है.