प्लेन में सभी यात्रियों को पैराशूट क्यों नहीं दिया जाता है? जानें ये क्यों मुमकिन नहीं
एयर इंडिया विमान हादसे ने लोगों के कान खड़े कर दिए हैं. हर कोई यह जानना चाहता है कि प्लेन क्रैश कैसे हुआ. हालांकि, लोग यह भी कह रहे हैं कि प्लेन में सुरक्षा के लिहाज से हर यात्री को पैराशूट क्यों नहीं दिया जाता?
प्लेन क्रैश की घटना के बाद लोगों का मानना है कि अगर यात्रियों के पास पैराशूट होता तो उनकी जान बच सकती थी. यह बात कहने में जितनी आसान है, उतनी हकीकत में नहीं. चलिए इसका कारण जान लेते हैं.
विमानन विशेषज्ञों का कहना है कि प्लेन में सभी यात्रियों के लिए पैराशूट नहीं रखने का सबसे बड़ा कारण उसका वजन और रखने का स्थान की कमी है. पैराशूट के साथ हेलमेट, ग्लासेस व अन्य उपकरण भी होते हैं. अगर सभी सीटों पर यह उपलब्ध करा भी दिया जाए तो कुल वजन 3500 से 3600 किलोग्राम तक बढ़ जाएगा.
दूसरा कारण यह है कि पैराशूटर्स 19 से 15 हजार फीट की ऊंचाई से नीचे कूदते हैं, जबकि हवाई जहाज 30 से 35 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ते हैं. यहां हवा काफी महीन होती है, ऐसे में यात्रियों की जान को खतरा हो सकता है.
इसके अलावा तीसरा कारण यह भी है कि पैराशूट से कूदने के लिए विशेष प्रशिक्षण की जरूरत होती है, क्योंकि छोटी सी भी गलती बड़े हादसे का कारण बन सकती है. एक यात्री विमान में सामान्य नागरिक होते हैं जिन्हें पैराशूट से कूदने के लिए ट्रेनिंग नहीं मिली होती है.
वहीं, विमान हादसा होने के बाद यात्रियों के पास बचने के लिए कुछ पल का ही समय होता है. ऐसे में इतने कम समय में यात्री पैराशूट को नहीं पहन सकते और पैराशूट पहनकर पहले से भी नहीं बैठ सकते.