इमरजेंसी में सरकार से भिड़े, अमिताभ बच्चन के डूबते करियर को दिया सहारा, जानें मनोज कुमार की अनसुनी बातें
मनोज कुमार की कई फिल्में बंपर हिट साबित हुईं लेकिन साल 1967 में आई उनकी फिल्म उपकार ना सिर्फ सुपरहिट बनी बल्कि इस फिल्म से देश में देशभक्ति की लहर जाग उठी. ये फिल्म मनोज कुमार ने तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री से मुलाकात के बाद बनाई थी.
दरअसल 1965 के युद्ध के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने मनोज कुमार की फिल्म शहीद देखी थी. भगत सिंह पर बनी इस फिल्म से प्रभावित होकर उन्होंने कहा था कि उनके नारे जय जवान, जय किसान को लेकर कोई फिल्म बनाएं. मनोज कुमार ने इसे बेहद गंभीरता से लिया और दिल्ली से मुंबई लौटते वक्त ट्रेन में ही पूरी फिल्म लिख डाली थी.
इस फिल्म का गीत मेरे देश की धरती आज भी शानदार गानों में शुमार है और काफी पसंद किया जाता है. मनोज कुमार की इस फिल्म को बेहद पसंद किया गया था और उन्हें भारत कुमार के नाम से पुकारा जाने लगा था.
मनोज कुमार पाकिस्तान के एबटाबाद में पैदा हुए थे. आजादी के बाद उनका परिवार दिल्ली आकर बस गया था. मनोज कुमार के मन में देशभक्ति की प्रबल भावना थी और उन्होंने देशभक्ति पर कई फिल्में भी बनाई थीं. मनोज कुमार ने शहीद, पूरब और पश्चिम, क्रांति, उपकार जैसी शानदार फिल्में बॉलीवुड को दी.
मनोज कुमार ना सिर्फ एक देशभक्त बल्कि सच्चे दोस्त भी थे. एक बार जब अमिताभ बच्चन ने लगातार फ्लॉप फिल्मों से निराश होकर मुंबई छोड़ने का मन बना लिया था तो मनोज कुमार ने ही उनको रोका था. साल 1974 में मनोज कुमार ने अमिताभ को अपनी फिल्म रोटी, कपड़ा और मकान में भी मौका दिया और ये फिल्म हिट साबित हुई.
मनोज कुमार अपनी निडरता के लिए भी जाने जाते थे. इमरजेंसी के दौर में मनोज कुमार ने सरकार का खुलकर विरोध किया था. सरकार ने मनोज कुमार को प्रो इमरजेंसी डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए कहा तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया था. इसके बाद उनकी फिल्म दस नंबरी पर बैन लगा दिया गया था.
मनोज कुमार इस बैन से डरे नहीं और सरकार के खिलाफ कोर्ट में गए. मनोज कुमार ने अपना केस जीता और फिल्म को रिलीज कराया. ये उस वक्त एक बहुत निडरता भरा कदम था.