UP Election: यूपी में विधानसभा की वह सीटें जहां बेहद दिलचस्प है मुकाबला, कई जगह दोस्त बन गए दुश्मन
राजनीति क्या न कराए. कभी दुश्मन को दोस्त बना दे तो कभी दोस्त को दुश्मन. राजनीति के गलियारों में अक्सर देखा जाता है कि नेता अपने फायदे के लिए अपनो के खिलाफ खड़े हो जाते हैं. इस बार यूपी चुनाव में भी विधानसभा की कई सीटें ऐसी हैं, जहां अपने ही अपनो के दुश्मन बन गए. आइए नज़र डालते हैं इन सीटों पर.
कुंडा के राजा कहे जाने वाले घुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया अपनी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रितक से चुनाव मैदान में है. वहीं, सपा ने गुलशन यादव को टिकट दिया है. गुलशन यादव कभी राजा भैया के शिष्य कहे जाते थे.
फिरोजाबाद की सदर सीट से सपा ने सैफुर्रहमान को मैदान में उतारा है. यहां पूर्व विधायक अजीम भाई पत्नी साजिया हसन के लिए वोट मांग रहे हैं. साजिया बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. अजीम और सैफुर्रहमान कभी एक साथ सियासत की चाले चला करते थे.
ललितपुर सीट पर सपा ने पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा को मैदान में उतारा है तो बीजेपी ने राम रतन कुशवाहा को टिकट दिया है. बड़ी बात यह है कि दोनों दोनों मौसेरे भाई हैँ.
लखनऊ की मोहनलालगंज सीट पर अब सपा की ओर से पूर्व सांसद सुशीला सरोज चुनाव लड़ेंगी. इससे पहले इस सीट से अंबरीश पुष्कर को उम्मीदवार बनाया गया था. अंबरीश ने 2017 में सपा के टिकट पर ही चुनाव जीता था.
बबेरू विधानसभा क्षेत्र में सपा ने विशंभर यादव को उतारा है. इससे पहले चर्चा थी कि सपा यहां से किरन यादव को टिकट देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. किरण यादव अब निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी.
जालौन जिले के पूर्व सांसद बृजलाल की पत्नी उर्मिला स्वर्णकार ने कांग्रेस के टिकट पर उरई से पर्चा भरा है. इसी सीट पर खाबरी के दूसरे रिश्तेदार श्रीपाल बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. यहां दो रिश्तेदारों के बीच लड़ाई है.
साल 2007 में मायावती की बसपा में साथ साथ रहे कैलाश राजपूत और अजय वर्मा अब सियासी दुश्मन बन गए हैं. कन्नौज जिले की तिर्वा विधानसभा सीट पर कैलाश बीजेपी की ओर से लड़ रहे हैं तो अजय वर्मा बसपा के टिकट पर ही चुनाव मैदान में हैं.