Prashant Kishor: प्रशांत किशोर का यह दांव बनेगा सबके गले की फांस, नीतीश कुमार-लालू यादव की अटका सकता है सांस!
पीके ने राज्य में वह राजनीतिक कार्ड चल दिया है, जो कि बिहार सीएम नीतीश कुमार से लेकर राजद के तेजस्वी यादव जैसे दिग्गजों की टेंशन बढ़ा सकता है.
जाने-माने चुनावी रणनीतिकार पीके राज्य में दलितों और मुस्लिमों को बेहद अहम फैक्टर मानते हैं. यही वजह है कि वह भाषणों में भी इनका जिक्र करते हैं.
पीके बोले कि राजद हो या जद(यू)...ये तीन दशकों से लोगों की आंखों में धूल झोंक रहे हैं. बताएं कि ओबीसी-ईबीसी और एससी की स्थिति क्यों नहीं सुधरी?
पीके बोले कि राजद हो या जद(यू)...ये तीन दशकों से लोगों की आंखों में धूल झोंक रहे हैं. बताएं कि ओबीसी-ईबीसी और एससी की स्थिति क्यों नहीं सुधरी?
मुसलमानों के लिए भी पीके भी का मैसेज कुछ ऐसा ही है. पिछले कुछ दिनों में जो स्पीच पीके ने दीं, उनमें बताया कि जन सुराज 75 मुसलमानों को उतारेगी.
राजद और जद(यू) के सामने पीके ने सीधा सवाल उठाया कि आखिरकार उनकी सरकार में इस समुदाय (मुसलमानों) को क्यों जगह नहीं दी गई थी?
खुद की बात स्पष्ट करने के लिए पीके बताते हैं कि मुस्लिम बिहार की आबादी का 17% हैं (यादवों से 3% ज्यादा) पर उनके पास बिहार का कोई नेता नहीं है.
जन सुराज के नेता ने मुसलमानों और दलितों (जो सामूहिक रूप से राज्य की आबादी का 37% हिस्सा) से अपील की कि वे सामान्य कारण में साथ आ जाएं.
पीके की पार्टी के एक नेता का आरोप है कि दलित नेताओं को राजनीतिक दलों की ओर से सिर्फ 'इस्तेमाल' (राजनीतिक हित साधने के लिए) किया गया है.