Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस को कौन पहुंचा रहा नुकसान? PK ने बताया, राहुल गांधी के ब्रेक और अमेठी-रायबरेली के दावे पर भी बोले
वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त को दिए इंटरव्यू के दौरान पीके ने स्पष्ट किया, मैंने यह कहा था कि किसी के नेतृत्व में अगर लगातार हार हो रही है तब इसमें कोई गुनाह नहीं है कि राहुल गांधी दो-तीन साल का ब्रेक ले लें और किसी और को नेता बना दें. शायद वह व्यक्ति कुछ बेहतर कर सके. आपको कोई हटा भी नहीं सकता है क्योंकि पार्टी आपकी है. दो-तीन साल बाद आप फिर नेता बन जाना. कांग्रेस में उनके समर्थकों ने मेरे इस बयान को उनके संन्यास लेने के सुझाव के तौर पर समझा.
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View In Appपीके के मुताबिक, राहुल गांधी को निजी मापदंडों के आधार पर ही ब्रेक ले लेना चाहिए. अरे, आपको किसी दूसरे पर भरोसा नहीं है तो आप बहन प्रियंका गांधी वाड्रा को ही नेता बना दें. मां सोनिया गांधी को आगे कर दीजिए. उन्हें ऐसा करना चाहिए. अगर नहीं करेंगे तब कांग्रेस में यूं ही गिरावट होती रहेगी.
यूपी की हॉट सीट (रायबरेली) को लेकर किए गए सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा, राहुल गांधी का अमेठी न लड़ना सही (संदेश देने के संदर्भ में) नहीं है. अमेठी छोड़कर रायबरेली चले जाना और सही नहीं है. आप लड़ते ही नहीं...आप दावा कर रहे हैं कि अमेठी-रायबरेली आपका है तब आपको उसे लड़कर लेना पड़ेगा.
चुनावी चाणक्य के नाम से मशहूर पीके ने आगे बताया, प्रियंका गांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी भी तो गुजरात से नहीं लड़ रहे हैं. हालांकि, वह वहां से हारकर नहीं भागे हैं. अगर आप अमेठी जीतकर छोड़ते तब ठीक था. मेरे हिसाब से राहुल गांधी को एक ही सीट से लड़ना था तब वह वाराणसी से लड़ लेते. रायबरेली से लड़ने का मुझे कोई सेंस समझ नहीं आता है.
प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि अगर वह रायबरेली और वायनाड जीत गए, फिर भी उन्हें एक जगह तो छोड़नी पड़ेगी. ऐसे में एक जगह की जनता को निराश ही होगी. वह उनसे सवाल खड़े करेगी कि आप वहां से लड़े ही क्यों? ऊपर से जहां हारे, उस जगह फिर से कमबैक नहीं कर रहे हैं.
इंटरव्यू में बड़े नुकसान का जिक्र करते हुए पीके ने बरखा दत्त से कहा, आप रायबरेली से लड़ रहे हैं. 18 दिन से प्रियंका गांधी प्रचार कर रही हैं. शुरुआती फेज में कांग्रेस समर्थक कह रहे थे कि वहां भीड़ आ रही है. वह नरेंद्र मोदी को तगड़ा जवाब दे रही हैं. अगर वह इतने ही दिनों में हर दिन तीन बैठकें भी करतीं तब कम से कम 50 संसदीय क्षेत्रों में कांग्रेस को फायदा होता पर पार्टी ने उन्हें दो सीटों में बांध दिया.
पीके के अनुसार, सोनिया गांधी ने सिर्फ एक मीटिंग की, जो कि रायबरेली में हुई थी. अगर सिर्फ राहुल गांधी को जिताने के लिए ही चुनाव लड़ा जा रहा है, तब तो बात ही अलग है. मेरी समझ से सोनिया गांधी की एक रैली होनी थी तब वाराणसी या फिर लखनऊ में होनी थी. रायबरेली तो आप जीत ही रहे हैं.
चुनावी रणनीतिकार ने कहा, कांग्रेस को यथास्थिति से बाहर निकलना होगा. कांग्रेस को जो लोग करीब से जानते हैं, वे मानते हैं कि 2014 से 2024 तक वही स्थिति हैं. अंदरखाने में कोई परिवर्तन नहीं है. इतना ही बदलाव कि अहमद पटेल और अंबिका सोनी की जगह पर केसी वेणुगोपाल और जयराम रमेश अधिक प्रभावशाली दिख रहे होंगे. हालांकि, तब भी जयराम रमेश कैंपेन चला रहे थे, आज भी वही चला रहे हैं. मेरा मानना है कि इससे कांग्रेस को बाहर आना चाहिए.
पीके के मुताबिक, कांग्रेस में जो चाटुकार हैं और जो गांधी परिवार से कभी मिले न हों, वे उनकी ओर से बोलने का दावा कर रहे हैं. ऐसे ही लोग उनका (कांग्रेस और नेतृत्व का) सबसे बड़ा नुकसान कर रहे हैं. भाई, राहुल गांधी को इसी स्थिति में आप चलाते रहोगे...आप ब्रेक दे दो न! प्रियंका गांधी कांग्रेस की यथास्थिति वाली स्थिति का हिस्सा नहीं हैं. वह न तो कांग्रेस का चेहरा हैं और न रणनीतिक फैसले लेने वाली नेता हैं.
जन सुराज के संस्थापक ने बातचीत के बीच यह भी कहा, कांग्रेस ने बीजेपी से कुछ सीखा हो या नहीं लेकिन ट्रोलिंग जरूर सीख ली है. कांग्रेस के ट्रोल उतने ही आक्रामक है, जितने की बीजेपी वाले हैं.
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