Kawad Yatra 2024: हिट हुआ योगी मॉडल, एमपी-बिहार में भी फिट, कांवड़िये बोले- महाराज का धन्यवाद
कांवड़ यात्रा को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश का असर अब बाकी राज्य में भी नजर आने लगा है. मध्य प्रदेश और बिहार में भी ऐसी ही मांगे उठ रही है. सीएम योगी आदित्यनाथ के एक फैसले ने देश के सियासी मिजाज को पूरी तरह बदल कर रख दिया. ऐसे मौके पर जहां यूपी में उपचुनाव होने वाले हैं. अब सवाल यह है की कांवड़ यात्रा की नेम प्लेट मामले का असर उपचुनाव में भी देखने मिल सकता है क्या?
योगी महाराज के इस फैसले की चर्चा तो विभिन्न राज्यों में हो रही है, लेकिन जिनके लिए यह फैसला लिया गया है उन कांवड़ियों का क्या कहना है ये बड़ा सवाल है. आइये आपको बताते हैं कि एबीपी न्यूज़ की ग्राउंड रिपोर्ट में कांवड़ियों ने क्या कहा. उनका कहना है कि हम हिंदू हैं, हम शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए हरिद्वार से जल लेकर आते हैं और हम नहीं चाहते कि जल अपवित्र हो जाए.
उनका कहना है कि नेम प्लेट लग जाने से उन्हें पता रहेगा कि वह हिंदू है या मुस्लिम है या कोई और धर्म के. उनसे कोई सामान खरीदना होगा या नहीं खरीदना होगा वह हम पर निर्भर करेगा.
एक व्यक्ति ने कहा कि हम अक्सर ऐसे वीडियो देखते हैं, जिसमें कोई खाने पीने की चीजों में थूक देता है या उस पर पेशाब कर देता है, जिससे हमारे मन में आशंकाएं हैं. इसलिए योगी महाराज के फैसले से हम बहुत खुश हैं. हम योगी जी के फैसले को लेने के लिए उनका धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने इस तरह का फैसला लिया.
बता दें कि योगी जी के इस फैसले के बाद सबसे पहले इसकी शुरुआत मुजफ्फरनगर से हुई. क्लासिक जूस कॉर्नर का नाम तो वही रहा, लेकिन उसके मलिक प्रोपराइटर मोहम्मद मुराद का नाम जुड़ गया. इसी प्रकार कई दुकानदारों ने अपनी दुकान के आगे नेम प्लेट लगवा दी और इतने में ही धंधे का दम निकल रहा है.
दुकानदारों का कहना है कि इस नेम प्लेट को लगाने से बहुत असर पड़ा है सुबह से कोई भी व्यक्ति दुकान पर नहीं आया है. वहीं एक फल वाले ने कहा कि यह फैसला लेकर चीन की दीवार खड़ी करने की सोच रहे हैं ऐसा नहीं होना चाहिए.
22 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू होनी है. मुजफ्फरनगर यात्रा 240 किलोमीटर का रूट पड़ता है नाम बदलने के फरमान से कहीं गम है तो कहीं लोग इसे बेहतर फैसला बता रहे हैं. शिव भक्ति में लीन भक्त जो गंगाजल लाकर चढ़ाते हैं. उनमें ज्यादातर इस बात से खुश हैं कि योगी सरकार ने ये फैसला उनके लिए लिया. यह फैसला पहले यूपी के तीन जिलों तक ही सिमटा हुआ था, लेकिन अब यह पूरे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में लागू हो चुका है. अब इसकी मांग मध्य प्रदेश और बिहार में भी हो रही है.