बाबर से बहादुर शाह तक, कितने पढ़े-लिखे थे मुगल बादशाह
बाबर को भारत में मुगल वंश के संस्थापक के रूप में जाना जाता है. बाबर की पहचान विद्वान, योद्धा और कवि के रूप में थी. उन्होंने अपनी आत्मकथा तुजुक ए-बाबरी लिखी, जो कि तुर्की भाषा में लिखी गई थी. इसे बाबरनामा और बाबर की यादें भी कहा जाता है.
बाबर के बाद हुमायूं ने शासन संभाला. कहा जाता है कि हुमायूं की गिनती बेहद विद्वानों में होती थी. वह अपना ज्यादा से ज्यादा समय पुस्तकालय में बिताया करते थे. यहां था कि पुस्तकालय में सीढ़ियों से गिरने के कारण हुमायूं की मौत हो गई थी.
हुमायूं के बाद शासन संभालने की जिम्मेदारी जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर पर आई. वह मुगल वंश का तीसरे शासक थे. अकबर को अनपढ़ था लेकिन वह बेहद ही पराक्रमी था. अनपढ़ होने के बाद भी वह ज्ञान व सहित्य को काफी ज्यादा महत्व देता था.
जहांगीर अकबर का बड़ा बेटा था. अकबर ने उसको शिक्षा हासिल करने के लिए फतेहपुर सीकरी भेजा था. जहां जहांगीर को अरबी, फ़ारसी, तुर्की, हिंदी, इतिहास, भूगोल, गणित आदि का ज्ञान दिया गया.
विश्व प्रसिद्ध ताजमहल को बनवाने वाला शाहजहां जहांगीर के बाद मुगल शासक बना. शाहजहां को मार्शल आर्ट्स, पोइट्री और म्यूजिक जैसी कई प्रकार की सांस्कृतिक कलाओं की समझ थी. शाहजहां के जीवन की कहानी को पादशाहनामा के नाम से जाना जाता है.
शाहजहां के बेटे औरंगज़ेब की गिनती बेहद ही क्रूर मुगल शासक में होती है. उसे दिन के 500 रुपये मिला करते थे, जिन्हें वह ज्यादातर अपनी शिक्षा पर ही खर्च करता था. औरंगज़ेब ने अरबी और फ़ारसी में शिक्षा हासिल की थी. इसके अलावा शाहजहां के बेटे दारा शिकोह को उपनिषद पढ़ने का बेहद शौक था.
औरंगज़ेब के बाद उसके बेटे बहादुर शाह ने मुगल वंश की कमान संभाली. उन्होंने अरबी और फारसी में शिक्षा हासिल की. वह युद्ध, घुड़सवारी और तीरंदाजी में प्रशिक्षित हुए.