Famous Ghats of Varanasi: काशी के 5 प्रसिद्ध घाट, जिन्हें देखे और जानें बिना अधूरी है आपकी बनारस की यात्रा
बनारस शहर जो प्रसिद्ध है, अपने घाटों के लिए और भक्तों के अपार सम्मान और भक्ति के लिए. यहां पर्यटक बहुत दूर-दूर से गंगा नदी में डुबकी लगाने और बनारस में अपने खोए हुए जीवन के सुकून को वापस पाने के लिए आते हैं.जैसा की हम सब जानते हैं, कि बनारस शहर का इतिहास बहुत पुराना है. आइए आज जानते हैं, इस शहर के 5 खास पुराने घाटों के बारे में. जिनसे जुड़ा है, इस शहर का अनुठा इतिहास.
मणिकर्णिका घाट, वाराणसी में सबसे प्रसिद्ध, पवित्र और सबसे पुराने घाटों में से एक है. मान्यता है भगवान शिव देवी सती के जलते हुए शरीर को हिमालय लेकर जा रहे थे, तब मणिकर्णिका घाट पर माता सती के कान का आभूषण गिर गया था.उसके बाद से यहां इस घाट पर हिंदू रीति रिवाजों से अंतिम संस्कार किया जाता है.
राजा घाट - इस घाट के उत्तरी भाग में एक महल तथा दक्षिणी भाग में अन्नपूर्णा मठ है. इस घाट का निर्माण राजाराव बालाजी ने 1720 में करवाया था, फिर 1965 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस घाट का जीर्णोद्धार कराया और लाल पत्थरों से सीढ़ियां बनवाईं. इसके अलावा इस घाट पर मां गंगा के सम्मान में तेल दीप उत्सव का आयोजन किया जाता है.
अस्सी घाट - यह घाट बनारस का सबसे प्रसिद्ध घाट है. शिवरात्रि के दौरान इस घाट पर लगभग हजारों की संख्या में लोग एक साथ इकट्ठा होते हैं. यहां विदेशी छात्र, शोधकर्ता, कलाकार और पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं. यहां हर सुबह करीब 300 लोग आते हैं जबकि त्यौहारों के दौरान हर घंटे करीब 2500 लोग यहां आते हैं. मान्यता के अनुसार देवी दुर्गा ने शुंभ और निशुंभ राक्षसों का वध करने के बाद अपनी तलवार यहीं फेंकी थी. जिस नदी पर तलवार गिरी थी उसे असी नदी के नाम से जाना जाता है. गंगा और अस्सी नदी के संगम को अस्सी घाट के नाम से जाना जाता है.
गंगा महल घाट- वाराणसी के इस घाट का निर्माण 1830 ईस्वी में नारायण वंश द्वारा हुआ था.और इस घाट पर महल था इस वजह से इस घाट का नाम “गंगा महल घाट” रखा गया. अब इस महल का उपयोग शैक्षणिक संस्थानों विश्वविद्यालय के लिए किया जाता है.
ललिता घाट- इस घाट का निर्माण नेपाल के राजा ने वाराणसी के उत्तरी क्षेत्र में करवाया था. इस मंदिर में पशुपतिश्वर की मूर्ति है, जो भगवान शिव का ही एक रूप हैं और यहां दूर-दूर से पर्यटक पेंटिंग और फोटोग्राफी के लिए आते हैं.