SIP Investment: एसआईपी में करने जा रहे हैं निवेश तो उससे पहले जरूर जान लें ये बातें!
एसआईपी के जरिए भारत में निवेश तेजी से बढ़ा है. एएमएफआई के आंकड़े बताते हैं कि सात साल पहले एसआईपी के जरिए मंथली कंट्रीब्यूशन 3 हजार करोड़ रुपये था, जो अभी बढ़कर 16 हजार रुपये प्रति माह के पार निकल चुका है.
एसआईपी निवेश के लिए लोकप्रिय तरीका बनकर उभरा है. एसआईपी से लोगों को सही तरीके से निवेश प्लान करने में मदद मिलती है. जहां इसके कई फायदे हैं, इसके कुछ नुकसान भी हैं. इस कारण एसआईपी करने से पहले हर किसी को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए...
सबसे पहले आप अपने फाइनेंशियल गोल तय करें. यह एसआईपी ही नहीं बल्कि किसी भी तरह के निवेश का सबसे पहला कदम है. आपका गोल लॉन्ग टर्म है या शॉर्ट टर्म, ये तय कर लेने से निवेश का साधन चुनने में आसानी होगी.
एसआईपी करने से पहले आप रिस्क उठाने की अपनी क्षमता को परख लें. कई एसआईपी में ज्यादा रिटर्न मिल सकते हैं, लेकिन वहां रिस्क भी ज्यादा होता है. वहीं कम रिस्क वाले प्लान में रिटर्न भी कम होता है.
एसआईपी के पोर्टफोलियो को डायवर्स बनाना चाहिए. डायवर्स पोर्टफोलियो से रिस्क और रिटर्न को बैलेंस करने में मदद मिलेगी.
किसी भी एसआईपी में पैसे लगाने से पहले स्कीम के बारे में अच्छे से पड़ताल करें. स्कीम को परखना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी फंड हाउस के बारे में पड़ताल करना है.
निवेश की यात्रा में सबसे जरूरी चीज है अनुशासन. एसआईपी तभी कारगर है, जब आप नियमित तौर पर पूरे अनुशासन के साथ निवेश करते हैं.