Varanasi: वाराणसी को मौत का शहर क्यों कहा जाता है?
वाराणसी का जिक्र वेदों से लेकर पुराणों, महाकाव्य, महाभारत और रामायण में मिलता है, ये शहर तीर्थ के रूप में तो वहीं मोक्ष दायिनी नगरी के रूप में जानी जाती है.
जन्म-मरण जीवन का सबसे बड़ा सत्य है. मृत्यु होने पर दुनिया भर में दुख मनाया जाता है लेकिन कहते हैं जिसकी मृत्यु वारणसी में हो जाए वह परमसुख प्राप्त करता है.
वाराणसी में मुमुक्षु भवन वो जगह है जहां तकरीबन 80 से 100 लोग रहकर मृत्यु का इंतजार करते हैं. मुमुक्षु भवन वाराणसी में साल 1920 के दशक से मौजूद है.
धार्मिक मान्यता है कि शिव नगर वाराणसी में जिसकी मृत्यु हो जाए, या जिसकी अंतिम क्रिया यहां की जाए वह जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त हो जाता है. यह भी एक कारण है कि इसे मौत का शहर कहा जाता है.
वाराणसी में करीब 84 घाट हैं जहां दाह संस्कार के लिए शवों का अंबार लगा होता है. कहते हैं शिव संहार के देवता है, जो श्मशान में निवास करते हैं.
शिव कृपा से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष का आशीर्वाद प्राप्त हो इसलिए काशी में अंतिम क्रियाएं करने का महत्व है.