Vastu Tips: खाने की थाली भी तय करती है आपका भाग्य! वस्तुशास्त्र के 6 नियम जानें
वास्तु शास्त्र में केवल घर की बनावट ही नहीं, बल्कि भोजन करने और बनाने की सही विधि को भी बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. मान्यता है कि अगर भोजन से जुड़े वास्तु नियमों की अनदेखी की जाए, तो जीवन में आर्थिक, मानसिक और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ सकती हैं. कहा जाता है कि भोजन का असर तभी होता है, जब उसे सही स्थान, सही दिशा और सही मनोभाव के साथ ग्रहण किया जाए.
कई लोग घर की चौखट पर ही बैठ कर भोजन कर लेते हैं. लेकिन वास्तु के अनुसार, घर की चौखट पर बैठकर भोजन करना अशुभ माना गया है. धार्मिक मान्यताओं में चौखट को देव स्थान के रूप में देखा जाता है. इस स्थान पर बैठकर भोजन करने से घर में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ सकता है और पारिवारिक कलह की स्थिति बन सकती है.
भोजन को ईश्वर का प्रसाद माना गया है. ऐसे में टूटे या फटे बर्तनों में भोजन करना भोजन का अपमान समझा जाता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस गलती से दुर्भाग्य, धन हानि और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है. बर्तन साफ और बिना टूटा हुआ होना चाहिए.
भोजन करते समय दिशा का विशेष महत्व होता है. वास्तु के अनुसार, उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके भोजन करना शुभ माना जाता है. ऐसा करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और पाचन तंत्र भी बेहतर रहता है.
रसोई में भोजन बनाते समय व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए. दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके खाना बनाना वास्तु दोष उत्पन्न कर सकता है, जिससे जीवन में नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं.
रसोई में मां अन्नपूर्णा का वास माना गया है. इसलिए इसकी साफ-सफाई बेहद जरूरी है. गंदी रसोई में बना भोजन शुभ फल नहीं देता. भोजन बनाने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और मन में किसी देवी-देवता का स्मरण करें. इससे भोजन की पवित्रता बनी रहती है.