Shani Dev: शनि की साढ़ेसाती से कौन सी राशि सबसे ज्यादा प्रभावित होती है ?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मनुष्य के जीवन में शनि की साढ़ेसाती 3 बार जरुर आती है. शनि जिस राशि में विराजमान होते हैं, उसपर और उसके एक राशि आगे और एक राशि पीछे पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहता है.
ज्योतिष ग्रंथों में शनि का कर्मफलदाता, कलियुग का दंडाधिकारी भी कहा गया है. साढ़ेसाती के समय शनि दंडनायक बन जाते हैं और व्यक्ति को उसके कर्मों का फल देते हैं.
वैसे तो सभी 12 राशियों के लोगों पर शनि की साढ़ेसाती का असर होता है लेकिन मेष और वृश्चिक राशि के जातक शनि की साढ़ेसाती से ज्यादा प्रभावित होते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मेष-वृश्चिक मंगल की राशि है. मंगल और शनि शत्रु ग्रह हैं. यही वजह है कि इनके लिए शनि की साढ़ेसाती बेहद कष्टदायी होती है.
शनि की साढ़ेसाती में मेष और वृश्चिक राशि वाले कुसंगति में उलझकर रह जाते हैं. धन हानि, रिश्तों में दरार, शस्त्रघात, नशे की लत ऐसी तमाम समस्याओं से गुजरना पड़ता है.
शनि को आध्यात्मिक व्यवहार पसंद है. बुजुर्गों, महिलाओं का अपमान, मजदूरों का अहित करना, तामसिक भोजन करना, अपने से नीचे के कर्मचारियों से गलत व्यवहार करने से, आदि अनैतिक कार्य करने वालों को शनि की साढ़ेसाती में आर्थिक, मानसिक और शारीरिक तौर पर कष्ट झेलने पड़ते हैं.
शनि साढ़ेसाती को ढाई-ढाई साल के तीन चरणों में बांटा गया है. शनि की साढ़ेसाती के पहले चरण में मनुष्य को आर्थिक परेशानी होती है, दूसरे चरण का प्रभाव कार्यक्षेत्र और परिवारिक जीवन पर और तीसेर चरण का असर सेहत पर होता है.