रावण की मृत्यु के बाद पुष्पक विमान का क्या हुआ, इस विमान को रावण ने किससे हासिल किया था
वाल्मीकि रामायण में रावण के पुष्पक विमान को दिव्य विमान कहा गया है, जो कई तकनीकों से लैस था और आज के आधुनिक जमाने के विमान से कम नहीं था. पौराणिक कथाओं के अनुसार, पुष्पक विमान का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया था.
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View In Appविश्वकर्मा जी ने इस विमान को अपने पिता ब्रह्मा को दिया और बाद में ब्रह्मा जी ने पुष्पक विमान कुबेर को दे दिया. लेकिन जब रावण की नजर इस दिव्य विमान पर पड़ी तो उसने शक्ति के बल से इसे कुबेर से छीन लिया.
आदिकाल का विमान होने के बावजूद भी पुष्पक विमान में कई खूबियां थीं. रामायण सुंदरकांड के 7वें अध्याय के अनुसार, यह विमान मोर की आकृति का था और अग्नि व वायु की ऊर्जा से हवा में उड़ता था. साथ ही यह ऋतुओं के अनुसार वातानुकूल था.
पुष्पक विमान को हर कोई नहीं उड़ा सकता था. कहा जाता है कि इस दिव्य विमान को केवल वही उड़ा सकता था जिसने इसके संचालन के मंत्र को सिद्ध किया हो.
माता सीता का अपहरण कर रावण उन्हें पुष्पक विमान से ही लंका ले गया था. इसके बाद लंका में विजय प्राप्त करने और रावण का अंत करने के बाद रामजी माता सीता और लक्ष्मण के साथ इसी पुष्पक विमान से अयोध्या लौटे थे.
रावण की मृत्यु के बाद पुष्पक विमान के अधिपति विभीषण बने. लेकिन विभीषण ने कुबेर को वापस यह विमान लौटा दिया. इसके बाद कुबेर ने रामजी को यह विमान भेंट स्वरूप दे दिया.
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