Falgu River: सीता जी ने क्यों दिया था फल्गु नदी को ये भयानक श्राप, जहां पिंडदान का विशेष महत्व
गया को लेकर मान्यता है कि स्वयं विष्णु यहां पितृ देवता के रूप में मौजूद हैं, इसलिए इसे पितृ तीर्थ भी कहा जाता है. गया में पितरों का श्राद्ध कर्म करने से 7 पीढ़ी के पितर संतुष्ट हो जाते हैं.
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View In Appगया की नदी फल्गु के किनारे किया गया श्राद्ध पूर्वजों के लिए सीधे स्वर्ग का रास्ता खोलता है लेकिन ये नदी श्रापित भी है. आखिर क्यों माता सीता ने फल्गु नदी को श्राप दिया. क्या थी वो वजह.
कथा के अनुसार वनवास के दौरान राम, लक्ष्मण और सीता जी गया में पिता दशरथ का श्राद्ध करने गए थे. श्रीराम और लक्ष्मण जी श्राद्ध की सामग्री जुटाने में लग गए. उन्हें आने में देरी हो गई तो देवी सीता ने दशरथ जी का श्राद्ध कर्म पूरा किया.
देवी सीता ने फल्गु नदी की रेत से पिंड बनाए और पिंडदान कर दिया. इस पिंडदान का साक्षी माता ने वहां मौजूद फल्गु नदी, गाय, तुलसी, अक्षय वट और एक ब्राह्मण को बनाया.
जब श्रीराम और लक्ष्मण जी लौटे तो देवी ने उन्हें श्राद्ध की सारी बात बताई लेकिन राम को यकीन नहीं हुआ तो उन्होंने समस्त साक्षी गण इसके बारे में पूछा लेकिन वटवृक्ष को छोटकर समस्त साक्षी गण झूठ बोल गए. फल्गु नदी ने भी झूठी गवाही दी, जिससे माता सीता क्रोधित हो गईं और उन्होंने फल्गु नदी को श्राप दिया कि वह सदा सूखी रहेगी.
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