Jitiya Vrat 2024: जितिया के नहाय-खाय से लेकर पारण तक इन 5 चीजों का है खास महत्व, इसके बिना व्रत है अधूरा
हिंदू धर्म में जितिया पर्व का खास महत्व है, जोकि आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी को होता है और यह पर्व पूरे 3 दिनों तक चलता है. इस साल 24 सितंबर को जितिया का नहाय खाय है और 25 सितंबर को पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाएगा. वहीं 26 सितंबर 2024 को व्रत का पारण किया जाएगा.
जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत में नहाय-खाय से लेकर पारण तक कुछ विशेष व्यंजन बनाए जाने की परंपरा है, जिसके बिना यह व्रत अधूरा माना जाता है. ये व्यंजन जितिया पर्व को और भी खास बनाते हैं. आइये जानते हैं इन व्यंजनों के बारे में.
सतपुतिया: ताजे और छोटे तोरई को ही बिहार-झारखंड में सतपुतिया या झिंगनी कहा जाता है. जितिया के मौके पर इसे बनाना अनिवार्य होता है. वहीं जितिया की पूजा में इसके पत्तों पर ही जीमूतवाहन और देवता-पितरों को प्रसाद अर्पित किए जाते हैं.
नोनी साग: जितिया पर्व पर नोनी साग का विशेष महत्व होता है. नहाय-खाय और पारण के दिन हरी-भूरी और लाल रंग की नोनी साग बनाई जाती है. लोग इसका साग बनाते हैं, कुछ इसके पकौड़े तैयार करते हैं तो कुछ नोनी साग को दाल के साथ बनाते हैं.
मडुआ की रोटी: जितिया के नहाय-खाय में मडुआ की रोटी खाने की परंपरा है. अनाज के रूप में नहाय-खाय पर महिलाएं महुआ की रोटी या फिर इसकी टिक्की बनाकर खाती हैं.
कुशी केशव: इसे देसी मटर भी कहा जाता है. हरे रंग के इसी मटर को खाकर व्रती अपना व्रत खोलती है. जितिया के दिन कुशी केशव से भी स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किया जाता है.
अरबी: अरबी को बिहार में कच्चू भी कहा जाता है. जितिया के नहाय खाय के दिन और पारण के दिन अरबी और इसके पत्ते से व्यंजन तैयार किए जाते हैं.
जितिया पर्व में शामिल की जाने वाली इन सब्जियों की खास बात यह है कि ये चीजें आसानी से कहीं भी उग जाती है, यानी उपजाऊ होती है. ये हर मौसम की मार झेलने में सक्षम होती हैं और सेहत के लिए भी लाभकारी होती हैं.
जितिया में इन साग-सब्जियों का इस्तेमाल कर माताएं यह प्रार्थना करती हैं ये जिस तरह ये सब्जियां बंजर जमीन पर उग जाती है और हर मौसम की मार सहन कर लेती है. उसी तरह हमारी संतान भी हर परिस्थिति में फलती-फूलती रहे.