क्या पितृ पक्ष जैसा है विदेश का हंग्री घोस्ट फेस्टिवल, जानें दोनों में चौंकाने वाली समानताएं
पितृ पक्ष को हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण समय माना जाता है. पितृ पक्ष के 15 दिनों की अवधि को पितरों का पर्व कहते हैं, जिसमें मृत पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किए जाते हैं.
वहीं हंग्री घोस्ट फेस्टिवल की शुरुआत चीन से मानी जाती है. लेकिन आज यह पूर्वी एशियाई देशों जैसे- चीन, सिंगापुर, मलेशिया समेत दुनियाभर में फैले चीनी समुदायों द्वारा मनाया जाता है.
हंग्री घोस्ट फेस्टिवल मनाने के पीछे लोगों की यह मान्यताएं हैं कि, इस समय मृत आत्माएं धरती पर आती हैं. इसलिए लोग उन्हें भोजन, अगरबत्ती और प्रतीकात्मक उपहारों से सम्मान देते हैं.
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष मनाने को लेकर भी लगभग कुछ ऐसी ही मान्यताएं हैं. माना जाता है कि, पितृ पक्ष के दौरान पितरों की आत्माएं धरती पर आती हैं. पूर्वजों की तृप्ति के लिए लोग श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं.
पितृ पक्ष में तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन से पितरों को संतुष्ट किया जाता है. जबकि हंग्री घोस्ट फेस्टिवल में भोजन, फल, मिठाइयां, अगरबत्ती जैसी वस्तुएं आत्माओं को अर्पित की जाती हैं. दोनों संस्कृतियां मानती हैं कि इससे आत्माएं तृप्त होकर आशीर्वाद देती हैं.
हंग्री घोस्ट फेस्टिवल आमतौर पर अगस्त या सितंबर महीने में सातवें चांद्र माह के 15वें दिन मनाया जाता है. जबकि पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू आश्विन अमावस्या तक चलता है, जोकि सितंबर या अक्टूबर में पड़ता है.
पितृ पक्ष और हंग्री घोस्ट फेस्टिवल में अंतर की बात करें तो, पितृ पक्ष वैदिक और हिंदू परंपरा से जुड़ा है. जबकि हंग्री घोस्ट फेस्टिवल बौद्ध धर्म और चीनी लोक परंपराओं से. साथ ही दोनों परंपराओं के कर्मकांड में भी अंतर होता है.
पितृ पक्ष और हंग्री घोस्ट फेस्टिवल भले ही अलग-अलग परंपराओं से जुड़ी हैं. लेकिन दोनों में काफी समानताएं भी हैं. जैसे- दोनों पूर्वजों को समर्पित है. दोनों परंपराओं की मान्यता यही है कि, जीवन में सुख, समृद्धि और सुरक्षा पितरों की कृपा से ही मिलती है, इसलिए उनकी शांति के लिए कर्म करने चाहिए.