Diwali 2023: धनतेरस से 5 दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत, जानें इन पांच दिनों में किस दिन कितने दीप जलाना शुभ
दिवाली का त्योहार पांच दिनों तक चलता है. इसलिए इसे पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व भी कहा जाता है. धनतेरस के दिन से इसकी शुरुआत हो जाती है. इसके साथ ही इसमें छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज मनाई जाती है.
प्रकाशपर्व दिवाली में दीपों का खास महत्व है. लेकिन छोटी दिवाली, धनतेतरस, बड़ी दिवाली और गोवर्धन पूजा में दीप जलाने की संख्या में अंतर होता है. इसलिए यह जान लीजिए कि पांच दिवसीय दीपोत्सव में किस दिन कितने दीप जलाना शुभ होता है.
धनतेरस: धनतेरस के दिन से ही पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत हो जाती है. इस दिन यमराज के निमित्त दीप जरूर जलाना चाहिए. कहा जाता है कि, धनतेरस के दिन 13 दीप जरूर जलाएं और इन्हें मुख्य द्वार पर रखें. साथ ही एक पुराना दीप में चार बाती लगाकर सरसों तेल से जलाएं. इसे घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखना चाहिए. इसे ही यम दीप कहा जाता है.
छोटी दिवाली: छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी पर मिट्टी के पांच दीप भगवान के सामने जलाएं. फिर इन्हें घर की अलग-अलग जगहों पर रख दें. आप विषम संख्या में 7, 14 या 17 दीप भी जला सकते हैं.
दिवाली: इस दिन लोग देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए और अमावस्या की रात के अंधकार को दीपों से रोशन करने के लिए दीप जलाते हैं. इस दिन 13 या 26 दीपों के मध्य एक दीप जलाना चाहिए. साथ ही इस एक चार बाती वाला दीपक भी जलाएं. कोशिश करें ये दीप पूरी रात जलता रहे.
गोवर्धन पूजा: दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है, जो भगवान कृष्ण को समर्पित है. इस दिन शुभ मुहूर्त पर घरों में विषम संख्या में दीपक जलाने चाहिए. गोवर्धन पूजा में 5, 7, 11 आदि विषम संख्या में दीपक जलाना शुभ माना जाता है.
भाई दूज: भाई दूज भाई-बहन का पर्व होता है. इस दिन संध्या के समय घर के बाहर चार बाती वाला दीपक यमराज के निमित्त जरूर जलाएं और दीपदान भी करें.