Chhath Puja 2023: जानिए छठ पूजा से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें, यहां मिलेगा हर सवाल का जवाब
छठ पर्व के दौरान जितना कठिन व्रत होता है, इसके नियम भी उतने ही कठिन होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि, छठी मईया कौन है और इसमें किन देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. जानते हैं छठ पूजा से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण बातों के बारे में.
छठ में किन देवी-देवताओं की पूजा: चार दिवसीय महापर्व छठ में सूर्य देव, उनकी पत्नी प्रत्यूषा और उषा, बहन षष्ठी की पूजा होती है. मान्यता है कि छठ पर्व में इनकी पूजा करने और अर्घ्य देने से जीवन की समस्या परेशानियां दूर हो जाती है.
छठी मैया कौन है: सूर्य देव की बहन देवी षष्ठी को ही छठी मैया कहा जाता है.मषष्ठी को संतानों की रक्षा करने वाली देवी कहा जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, संसार की रचना के समय प्रकृति को 6 भागों में बांटा गया था. इसके छठवें अंश को मातृ देवी के रूप में पूजा जाने लगा. इसे ही षष्ठी देवी या छठी मईया कहते हैं. ये भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री हैं.
छठ में डूबते सूर्य को क्यों देते हैं अर्घ्य: हिंदू धर्म में उगते सूर्य को नियमित रूप से अर्घ्य दिया जाता है. लेकिन छठ एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें डूबते सूर्य को भी अर्घ्य देने की परंपरा है. इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि, सूर्य देव जब अस्त होते हैं तो अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं. इस समय अर्घ्य देने से सूर्य देव और देवी प्रत्यूषा का आशीर्वाद मिलता है.
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व: डूबते सूर्य यानी अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद अगले दिन उदीयमान सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद ही छठ व्रत संपन्न होता है. मान्यता है कि भोर के समय सूर्य देव अपनी पत्नी उषा के साथ होते हैं.
छठ का पारण कैसे करें: छठ पूजा में व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती है और उषा अर्घ्य के बाद व्रत खोलती है. व्रती व्रत खोलने के लिए सबसे पहले पूजा में चढ़ाया हुआ ठेकुआ प्रसाद खाती है. इसी प्रसाद से व्रत का पारण किया जाता है.