Chaturmas 2023: आज से चातुर्मास शुरू, 5 माह रखें इन 7 बातों का ध्यान, नहीं तो भुगतने पड़ेंगे बुरे परिणाम
चातुर्मास की अवधि चार माह की होती है लेकिन इस साल चातुर्मास में अधिकमास भी है, ऐसे में पांच महीने तक शादी विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश आदि शुभ और मांगलिक कार्य नहीं हो पाएंगे. चातुर्मास को मलमास और पुरुषोत्तम माह भी कहा गया है.
देवशयनी एकादशी के बाद चार माह तक सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति का तेजस तत्व कम हो जाता है. शुभ शक्तियों के कमजोर होने पर किए गए कार्यों के परिणाम भी शुभ नहीं होते. इसीलिए मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं.
चातुर्मास में अन्न, दीपदान, वस्त्र, छाया दान और श्रमदान करना चाहिए. ये पांच तरह के दान व्यक्ति को सुख, सौभाग्य प्रदान करते हैं. चातुर्मास में ब्रजधाम की यात्रा करना बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि चातुर्मास में सभी तीर्थ ब्रजधाम आते हैं.
चातुर्मास की अवधि में विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए. इस माह में की गई पूजा, तप या साधना जल्द ही फलीभूत होती है और साधक पर नकारात्मक शक्तियों का असर नहीं होता.
चातुर्मास में रोजाना गीता का पाठ करना श्रेष्ठ माना गया है, मान्यता है इससे कार्य में विघ्न नहीं आते. मानसिक और शारीरिक रूप से व्यक्ति मजबूत रहता है.
चातुर्मास के पहले महीने सावन में शिव, दूसरे माह अधिकमास में विष्णु जी, तीसरे भाद्रपद में गणपति, चौथे अश्विन माह में देवी और पितरों की पूजा और कार्तिक में लक्ष्मी नारायण की उपासना करनी चाहिए.
इस दौरान तामसिक भोजन न करें, बेल, मूली, दूध, दही, शक्कर, मिठाई, सुपारी, मांस मदिरा का त्याग करें. बाल, दाढ़ी नहीं बनाना चाहिए. ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए जमीन पर सोएं.