यहां सिर्फ पानी में उग रही हैं सब्जियां, जानिए इस कमाल की हाइड्रोपॉनिक्स तकनीक के बारे में
हाइड्रोपॉनिक्स तकनीक इकोफ्रेंडली है और इसमें कम पानी और कुछ ही पोषक तत्वों के साथ ही अच्छी फसल तैयार हो जाती है. इसके साथ ही इस तकनीक से तैयार हुई फसलों की कीमत काफी ज्यादा मिलती है.
आपको बता दें, हाइड्रोपॉनिक तकनीक को अमेरिका, सिंगापुर, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों में पहले से ही इस्तेमाल किया जा रहा है. और अब भारतीय किसानों के बीच भी ये तकनीक काफी लोकप्रिय हो रही है. इससे किसानों को जमकर मुनाफा हो रहा है.
एक्सपर्ट्स हाइड्रोपॉनिक्स खेती को संरक्षित ढांचे में करने की हितायद देते हैं, क्योंकि इस तकनीक में मिट्टी की जरुरत बिल्कुल ही नहीं होती. इसमें पानी के साथ ही खनिज पदार्थ और पोषक तत्व बीजों और पौधों तक पहुंचाये जाते हैं और इससे फसल बेहतर होती है.
आपको बता दें, इन पोषक तत्वों में फास्फोरस, नाइट्रोजन, मैग्निशियम, कैलशियम, पोटाश, जिंक, सल्फर, आयरन आदि जैसे तत्व शामिल हैं. इसी के कारण फसल की उपज 25-30 फीसदी तक बढ़ जाती है.
हाइड्रोपॉनिक्स तकनीक में प्लास्टिक की पाइपों में बड़े छेट बनाये जाते हैं और इन छेदों में सब्जियों के छोटे पौधे लगा दिए जाते हैं. आपको बता दें इन्हें पानी से ही 25-30 प्रतिशत अधिक ग्रोथ मिल जाती है. लेकिन इन छोटे पौधों को ट्रे में बीज बोकर बड़ा किया जाता है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत के कई किसान और युवा स्टार्टअप के तौर पर हाइड्रोपॉनिक्स तकनीक के जरिए शिमला मिर्च, धनिया, टमाटर, पालक, खीरा, मटर, मिर्च, करेला, स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी, ब्लूबेरी, ककड़ी और मूली जैसी छोटे पत्तेवाली सब्जियों की खेती कर रहे हैं और मुनाफा कमा रहे हैं.