तिल की खेती से अमीर बनेंगे किसान, जानिए सही समय पर कैसे करें इसकी बुआई
तिल की खेती भी महत्वपूर्ण खरीफ फसलों में से एक है, जिसके लिये उपजाऊ जमीन की जरूरत नहीं होती, रेतीली-दोमट मिट्टी में इसकी बुवाई कर सकते हैं.
देश में तिल की खेती महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडू, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व तेलांगाना में सहफसल के रूप में की जाती है. वहीं, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में तिल की खेती मुख्य फसल के रूप में की जाती है.
भारत में तिल की तीन बार बुआई होती है. लेकिन खरीफ सीजन के दौरान इसकी खेती करने से किसानों को काफी मुनाफा होता है. आमतौर पर जुलाई के महिने में तिल की खेती की जाती है.
इसकी फसल के लिये अच्छी किस्म के बीजों का इस्तेमाल करें और बुवाई से पहले बीजोपचार जरूर कर लेना चाहिये. खेत में तिल की बुवाई कतारों में करें और कतारों से कतारों और पौध से पौध के बीच 30*10 का फासला रखें.
तिल की बुवाई करने से पहले खेत में खरपतवार उखाड़कर बाहर निकाल लें. इसके बाद खेत में 2-3 बार जुताई का काम कर लें. इससे मिट्टी कीटाणुमुक्त हो जायेगी और मिट्टी के सौरीकरण में मदद मिलेगी.
जुताई के बाद खेत में पाटा चला दें. आखिर जुताई के समय मिट्टी में 80-100 क्विंटल गोबर की सड़ी हुई खाद को मिला दें. इसी के साथ 30 किग्रा. नत्रजन, 15 किग्रा. फास्फोरस तथा 25 किग्रा.