इस बार कीजिए सबसे बेहतर धान की खेती, अच्छी उपज के लिए अपनाएं ये तरीका
भारत में धान यानी चावल की फसल को खरीफ सीजन की एक बेहद महत्वपूर्ण के रूप में जाना जाता है. पोषण के नजरिये से चावल की फसल महत्वपूर्ण है ही, साथ ही दुनियाभर में इसकी खपत भी अच्छी मात्रा में की जा रही है.
भारत की बात करें तो खरीफ सीजन के दौरान उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु और झारखंड में बड़े पैमाने पर चावल की खेती की जाती है. इन राज्यों में किसानों को 15 मई से लेकर 15 जून तक के बीच चावल की नर्सरी तैयार कर लेनी चाहिये.
चावल की नर्सरी लगाते समय किसानों को स्वस्थ बीजों की खरीद, बीजोपचार, सिंचाई, निराई-गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण जैसी बातों का खास ख्याल रखना बेहद जरूरी है.
विशेषज्ञों की मानें तो चावल की नर्सरी के लिये जलवायु और मिट्टी की जांच होना बेहद जरूरी है. मिट्टी की गुणवत्ता के अनुसार ही अच्छे और उन्नत किस्म के बीजों का चुनाव करना चाहिये.
किसानों को सलाह दी जाती है कि अच्छी और स्वस्थ उपज के लिये बीजों की बुवाई से पहले बीज शोधन का काम करें, इससे फसल में कीटों और बीमारियों की संभावना कम हो जाती है. बीजों को शुद्ध करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह अनुसार बाविस्टीन और थीरम का इस्तेमाल करें.
चावल की नर्सरी में बीज बोने के करीब 10-15 दिन के अंतराल पर कीटनाशक और फफूंदी नाशक छिड़काव करें. किसान चाहें तो केमिकल के स्थान पर नीम पत्तियों का घोल बनाकर नर्सरी में छिड़काव कर सकते हैं.