Monsoon Effect: उत्तर भारत में देर से आया मानसून तो फसलों पर क्या पड़ेगा असर?
मानसून के देरी से आने पर खरीफ फसलों के उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. मिट्टी में नमी की कमी से फसलों के अंकुरण पर असर पड़ेगा. धान की खेती के लिए समय पर बारिश होना बहुत जरूरी है.
कृषि एक्सपर्ट डॉ. एस आर सिंह ने बताया कि अगर देर से मानसून आएगा तो खरीफ फसलों के उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है. क्योंकि फसलों के लिए मिट्टी में नमी कम होगी और इसका प्रभाव जर्मिनेशन पर देखने को मिलेगा. धान की खेती के लिए बारिश का समय से होना अति आवश्यक है.
दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर है. ऐसे में किसानों को सुबह और शाम के वक्त खेत में कार्य करने की सलाह दी जा रही है. साथ ही वह हायड्रेशन का पूरा ध्यान रखें.
उत्तर भारत में लू का प्रकोप जारी है. आईएमडी के अनुसार, उत्तरी राज्यों में अधिकतम तापमान 42 से 47 डिग्री सेल्सियस के बीच है, जो सामान्य से लगभग तीन से छह डिग्री सेल्सियस अधिक है.
मौसम विभाग की रिपोर्ट्स की मानें तो मानसून महाराष्ट्र में धीमा हो गया है और इसे फिर से गति मिलने में एक सप्ताह लग सकता है.