अमेरिका में तीन नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले डोनाल्ड ट्रंप और बिडेन के बीच आज पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट हुई. प्रेसिडेंशियल डिबेट में दोनों उम्मीदवारों को खास मुद्दों पर अपने विचार रखने होते हैं. पहले दोनों उम्मीदवार अपना पक्ष रखते हैं और फिर एक दूसरे के तर्कों को काटते हैं. इसमें उम्मीदवार की कमी और ताकत का पता लग जाता है. ये पूरी बहस टेलीविजन पर सीधी प्रसारित की जाती है.


जिन वोटरों तक उम्मीदवार प्रचार के दौरान सीधे नहीं पहुंच पाते उन तक बात पहुंचाई जाती है. जो वोटर तय नहीं कर पाए कि वोट किसे देना है ये डिबेट उन पर सीधा असर डालती है. ऐसे में दोनों उम्मीदवार क्या बोलते हैं, कैसे दिखते हैं, स्क्रीन पर कितना एक्टिव हैं और बड़े मुद्दों पर उनकी राय क्या है, उनकी नीति क्या है, इन सभी पर नजर रखी जाती है.


प्रेसिडेंशियल डिबेट का इतिहास
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले बहस की शुरुआत बहस 26 सितंबर 1960 को हुई थी. तब जॉन एफ केनेडी (लेफ्ट) और रिचर्ड निक्सन (राइट) के बीच बहस हुई थी. इसके 16 साल बाद 1976 से अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों की बहस होना शुरू हुई. तब गेरोल्ड फोर्ड और जिमी कार्टर के बीच बहस हुई थी जिसके बाद अमेरिका में हवा बदल गई और कार्टर ने बढ़त ले ली.


परंपरा के मुताबिक, राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच तीन बहस होती हैं और एक बहस उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच होती है. शुरुआत में ये बहस दो पार्टियों के बीच समझौते के आधार पर होती थी. लेकिन 90 के दशक के दौरान 'कमिशन ऑन प्रेसिडेंशियल डिबेट्स' (सीबीडी) बनाया गया जो ये बहस आयोजित करवाता है. प्रेसिडेंशियल डिबेट बिना किसी कॉमर्शियल ब्रेक के 90 मिनट की होती है. हर मुद्दे पर डिबेट के लिए 15 मिनट का समय दिया जाता है. दोनों उम्मीदवारों को हर सवाल का जवाब देने के लिए 2 मिनट का समय दिया जाएगा.


इस बार कोरोना महामारी की वजह से इस बार की प्रेसिडेंशियल डिबेट बेहद अलग है. अपनी पहली डिबेट में ट्रंप और बिडेन ने न तो आपस में हाथ मिलाए और न ही कोहनी से टक्कर (अनौपचारिंग ग्रीटिंग का एक रूप) दी. साथ ही ट्रंप, बिडेन और फॉक्स न्यूज के होस्ट क्रिस वॉलेस इस दौरान मास्क नहीं पहनेंगे.


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