विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) गरीब देशों के उन लोगों के लिए क्षतिपूर्ति फंड स्थापित करने जा रहा है जो कोविड-19 के साइड-इफेक्ट्स से पीड़ित हो सकते हैं. आपको बता दें कि कोरोना वैक्सीन के लिए 'कोवाक्स प्लान' या 'कोवाक्स फैसिलिटी' बनाया गया है. इसका संचालन विश्व स्वास्थ्य संगठन, गावी नामक संस्था मिलकर कर रहे हैं.


कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के लिए प्लान


WHO ने एक दशक पहले H1N1 स्वाइन फ्लू महामारी के दौरान हुई देरी की पुनरावृत्ति से बचने के लिए ये कदम उठाया है. उस वक्त दर्जनों निम्न आमदनी वाले देशों में वैक्सीनेशन की रफ्तार धीमी हो गई थी क्योंकि कोई स्पष्ट दायित्व मौजूद नहीं था. नई व्यवस्था का मकसद उन आशंकाओं को दूर करना है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैक्सीन के सामने लाने में रुकावट बन सकता है. कोवाक्स ने कहा कि कोवाक्स फैसिलिटी के प्रमोटर की तरफ से स्कीम तैयार की जा रही है.


92 गरीब देशों के लोगों को मिलेगा मुआवजा


कोवाक्स का लक्ष्य कम से कम 2 बिलियन प्रभावी डोज को दुनियाभर में अगले साल के अंत तक वितरित करने का है. 92 निम्य आये वाले ग्रुप में ज्यादातर अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया महादेश के देश शामिल हैं. उनके बिल की वैक्सीन योजना से भरपाई होगी. वहां की सरकारें महामारी से उपजे संकट के चलते मरीजों के दावे की पूर्ति करने में असमर्थ होंगी. हालांकि, दर्जनों मध्यम आमदनी वाले देशों जैसे दक्षिण अफ्रीका, लेबनान, ईरान और लैटिन अमेरिका को सुरक्षा नहीं मिलेगी.


कोवाक्स ने बयान में कहा, "92 देशों के रहने वाले लोगों को मुआवजा मुहैया कराने के लिए कोवाक्स फैसिलिटी एक तंत्र विकसित कर रहा है." फिलहाल, अभी ये साफ नहीं है कि 92 देशों को चुनने के लिए क्या पैमाना अपनाया गया. मान्यता प्राप्त वैक्सीन से विपरीत प्रभाव की आशंका बहुत कम है. अवाम की चिंता को देखते हुए कोविड-19 वैक्सीन के प्लान को मजबूत बनाया गया है. बीमा कंपनियों के बजाए संभावना है कि साइड-इफेक्ट के पीड़ितों को क्षतिपूर्ति कोवाक्स के नए तंत्र से की जाए.


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