यमनी नागरिक की हत्या के मामले में यमन की सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय मूल की मलयाली नर्स निमिषा प्रिया की याचिका खारिज कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें मौत की सजा का फरमान सुनाया है. एक साल जेल में रहने के बाद निचली अदालत ने साल 2018 में निमिषा को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे निमिषा की फैमिली ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन वहां भी निराशा ही हाथ लगी है.


भारत सरकार के वकील ने गुरुवार (16 नवंबर) को दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ऑफ यमन ने निमिषा की मौत की सजा बरकरार रखी है. हाईकोर्ट में निमिषा की मां ने याचिका दाखिल कर यमन जाने की इजाजत मांगी थी. आइए जानते हैं, कौन हैं निमिषा प्रिया और किस मामले में सुनाई गई मौत की सजा-


कौन हैं निमिषा प्रिया
निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं, जो साल 2014 या शायद उससे भी पहले अपने पति के साथ यमन चली गई थीं. हालांकि, फाइनेंशियल क्राइसिस के चलते उनके पति और बच्चे वापस लौट आए, लेकिन निमिषा वहीं रहीं. यमन में रहकर उन्होंने अपना क्लीनिक खोल लिया. इस क्लीनिक को खोलने के लिए ही उन्होंने तलाल आब्दो महदी से कॉन्टेक्ट किया और क्लीनिक खोलने के लिए मदद मांगी थी.


निमिषा प्रिया को किस मामले में हुई मौत की सजा
द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2014 में निमिषा प्रिया ने यमन में क्लीनिक खोलने में मदद के लिए तलाल अब्दो महदी से संपर्क किया था. तलाल, निमिषा के पति टोनी थॉमस का दोस्त था. साल 2015 में निमिषा ने अपने दोस्त अब्दुल हनान की मदद से क्लीनिक खोल लिया, जिसके लिए उसे तलाल से कोई मदद नहीं मिली. हालांकि, जब निमिषा क्लीनिक से कमाई करने लगी तो तलाल अपना हिस्सा मांगने लगा और उसको परेशान करना शुरू कर दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, तलाल ने शादी के फर्जी डॉक्यूमेंट्स भी बनवा लिए और दावा करता था कि निमिषा उसकी पत्नी है. 


साल 2016 में निमिषा ने तलाल की शिकायत पुलिस में कर दी, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया, पर जैसे ही वह जेल से बाहर आया तो उसने निमिषा का पासपोर्ट अपने पास रख लिया. 2017 में अपना पासपोर्ट वापस लेने के लिए निमिषा ने तलाल को नशीला इंजेक्शन दिया था ताकि उसको काबू में कर सके. इंजेक्शन की ओवरडोज से तलाल की मौत हो गई. इस घटना में अब्दुल हनान भी उसके साथ शामिल था.


अब्दुल हनान को हुई आजीवन कारावास
तलाल की मौत होने के बाद निमिषा और अब्दुल हनान ने डेड बॉडी को ठिकाने लगाने के लिए प्लान बनाया. इसके लिए दोनों ने तलाल की बॉडी के टुकड़े कर दिए और उन्हें पानी के टैंक में डिस्पोज कर दिया. इसके बावजूद निमिषा और हनान बच नहीं सके और पुलिस ने पता लगा लिया कि तलाल की हत्या इन दोनों ने ही की है. अगस्त, 2017 में पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया और फिर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. बाद में निमिषा की सजा को फांसी में बदल दिया गया और अब्दुल हनान की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी गई.


निमिषा ने क्या दी दलील
निमिषा प्रिया ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर कहा कि तलाल उसको टॉर्चर करता था और कई बार मारपीट भी की. उसका कहना है कि तलाल नशीले पदार्थों का सेवन करता था और कई बार निमिषा को बहुत परेशान भी करता था.


अब निमिषा प्रिया के पास क्या हैं विकल्प
केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि यमन के राष्ट्रपति ही निमिषा प्रिया की मौत की सजा माफ कर सकते हैं. अगर यमन के राष्ट्रपति रशद अल अलीमी निमिषा प्रिया की सजा के खिलाफ याचिका पर फैसला लेंगे तो मौत की सजा माफ हो सकती है.


पिछले साल 2022 में तलाल अब्दू महदी के परिवार ने ब्लड मनी के तौर पर 50 मिलियन यमनी रियाल यानी 1 करोड़ 52 लाख 32 हजार 757 रुपये की मांग की थी. यमनी अधिकारियों ने जेल में निमिषा से मिलकर पीड़ित परिवार की इच्छा भी बताई थी. हालांकि, इससे पहले निमिषा के परिवार ने महदी की फैमिली को ब्लड मनी की पेशकश की थी, लेकिन वे निमिषा को फांसी की सजा पर अड़े थे. अब निमिषा की मां और सेव निमिषा फोरम ने कोर्ट में अपील कर यमन जाने की इजाजत मांगी है ताकि वह पीड़ित परिवार से मिलकर बात कर सकें. 


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