Mohammed al-Sudani: अब्दुल लतीफ राशिद (Abdul Latif Rashid) को इराक का नया राष्ट्रपति बनाए जाने के बाद यहां महीनों के राजनीतिक गतिरोध पर अब पूर्ण विराम लग गया है. अब सारा ध्यान सरकार के गठन की ओर है, जोकि अक्टूबर में आम चुनाव के बाद से नहीं हो रहा था. राशिद ने राष्ट्रपति बनते ही तुरंत मोहम्मद शिया अल-सुदानी (Mohammed al-Sudani) को इराक के प्रधानमंत्री के रूप में नामित किया. 


दरअसल, अल-सुदानी को ईरान समर्थित शिया समन्वय फ्रेमवर्क ने भूमिका के लिए नामित किया गया था, जो अब सबसे बड़ा संसदीय ब्लॉक है. 25 जुलाई को समन्वय फ्रेमवर्क द्वारा अल-सुदानी के नामांकन ने पिछले साल के चुनाव के बाद से राजधानी बगदाद में सबसे बड़े विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया था. अल-सदर समर्थकों ने इसके खिलाफ बगदाद में गढ़वाले ग्रीन जोन का उल्लंघन करने के साथ ही देश की संसद में वापसी की मांग को लेकर हंगामा किया था. 


कौन हैं अल-सुदानी ?


अल-सुदानी का जन्म 1970 में दक्षिणी इराक में हुआ था. जब वह 10 साल के थे, तब उनके पिता को सद्दाम हुसैन के शासन ने ईरान समर्थित इस्लामिक दावा पार्टी से संबंधित होने के आरोप में मार डाला था. बाद में वह 1991 में हुसैन को गिराने की उम्मीद में शिया विद्रोह में शामिल हो गए. इस दौरान, जब कई लोग दूसरे देशों में शरण लेने के लिए इराक से भाग गए, अल-सुदानी देश में बने रहे. 


विभिन्न पदों पर किया कब्जा 


2003 में इराक पर अमेरिका के नेतृत्व वाले आक्रमण के बाद अल-सुदानी ने स्थानीय और केंद्र सरकारों में विभिन्न पदों पर कब्जा कर लिया. 2004 में आक्रमण के बाद वह अमराह शहर के मेयर और फिर अपने गृह प्रांत मेसन के गवर्नर बने. बाद में, उन्होंने नूरी अल-मलिकी और हैदर अल-अबादी की सरकारों में कई मंत्रालयों में सेवा की, जिसमें 2010 से 2014 तक मानवाधिकार मंत्री और 2014 से 2018 तक श्रम और सामाजिक मामलों के मंत्री के रूप में कार्य किया. 


2020 में दिया पार्टी से इस्तीफा 


इसके बाद 2020 में इराकी राजनीति में बदलाव के चलते बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों के बाद अल-सुदानी ने दावा पार्टी से इस्तीफा दे दिया, जिसके महासचिव अल-मलिकी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हुए हैं. हालांकि, उन्होंने पार्टी क्यों छोड़ी इसके बारे में कुछ साफ नहीं है, लेकिन कई लोगों ने कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाने के लिए यह फैसला लिया. वह अपने राजनीतिक भविष्य को जोखिम में नहीं डालना चाहते थे और एक स्वतंत्र नेता के रूप में उभरना चाहते थे. 


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