अमेरिका के नक्शेकदम पर चलते हुए दुनिया के एक और देश ने भारत पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. यह देश अमेरिका का पड़ोसी है, जिसका नाम मेक्सिको है. मेक्सिको ने भारत, चीन समेत दूसरे एशियाई देशों की वस्तुओं पर 1 जनवरी 2026 से 50 फीसदी टैरिफ लगाने का फैसला लिया है. हालांकि, अगर हम मेक्सिको की करेंसी की बात करें तो यहां की मुद्रा को पेसो बोलते हैं.

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वाइस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक 1 पेसो की कीमत भारतीय करेंसी के मुकाबले 5.05 रुपया है. इस तरह से अगर कोई भारतीय मेक्सिको में जाकर 20000 हजार कमाता है तो भारत में आकर उसकी कीमत 1 लाख 936 रुपया हो जाएगी. इस तुलना से साफ है कि मेक्सिकन पेसो भारतीय रुपये की तुलना में ज्यादा मूल्यवान है.

पेसो को पहली बार साल 1863 में मेक्सिको की आधिकारिक मुद्रा के रूप में अपनाया गया था. आज यह करेंसी न सिर्फ मेक्सिको, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी एक मजबूत मुद्रा मानी जाती है. मेक्सिको के अलावा भी कई देशों में मुद्रा का नाम पेसो है. इनमें प्रमुख देश शामिल हैं, अर्जेंटीना, चिली, कोलंबिया, क्यूबा, डोमिनिकन रिपब्लिक, फिलीपींस और उरुग्वे. हालांकि, इन सभी देशों का पेसो एक-दूसरे से अलग होता है और उनकी वैल्यू भी अलग-अलग होती है.

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मेक्सिको में कौन-कौन से पेसो नोट चलते हैं?

मेक्सिको में पेसो को 100 सेंटावोस में बांटा गया है. यहां प्रचलन में कुल 6 प्रकार के नोट हैं, जो 20, 50, 100, 200, 500 और 1000 पेसो है. इन नोटों को मेक्सिको का केंद्रीय बैंक Banco de Mexico (बैंक ऑफ मेक्सिको) जारी करता है. मेक्सिको की अर्थव्यवस्था को विकासशील मिश्रित अर्थव्यवस्था (Developing Mixed Economy) माना जाता है. वैश्विक स्तर पर यह देश दुनिया की 13वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. ये देश मजबूत निर्यात, ऑटोमोबाइल, तेल, मैन्युफैक्चरिंग और टूरिज्म सेक्टर के लिए जाना जाता है. यही कारण है कि मेक्सिकन पेसो की स्थिरता और ताकत बनी रहती है.

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