ईद-उल-फितर, जिसे रमजान के बाद मनाया जाता है, एक ऐसा त्यौहार है जिसे पूरी दुनिया के मुसलमान बड़े धूमधाम से मनाते हैं. लेकिन इस साल चांद को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. क्या सऊदी अरब में चांद नहीं दिखा, फिर भी उसने ईद की तारीख 30 मार्च घोषित कर दी थी? क्या यह फैसला सही था और भारतीय मुसलमानों को इसके बारे में क्या सोचना चाहिए?
दरअसल खगोलशास्त्रियों के मुताबिक, 29 मार्च को सऊदी अरब में चांद देख पाना संभव नहीं है क्योंकि वैज्ञानिक प्रमाण बताते हैं कि इस दिन चांद दिखाई नहीं दे सकता. फिर भी सऊदी अरब ने अपनी पूर्व निर्धारित तारीख के अनुसार ईद 30 मार्च को घोषित कर दी है. इस फैसले ने दुनियाभर के मुसलमानों में हलचल मचाई और कई लोग सवाल करने लगे कि क्या सऊदी अरब में चांद दिखने का दावा सही था या फिर यह एक धांधली थी?
सऊदी अरब की परंपरा और आलोचनाएं
सऊदी अरब पर हमेशा यह आरोप लगता रहा है कि वह चांद की तारीख को अपनी इच्छाओं के मुताबिक तय कर लेता है, बजाय इसके कि वो केवल चांद देखने पर निर्भर रहे. साल 2019 में कुछ खगोलशास्त्रियों ने इसे लेकर बयान दिया था कि सऊदी अरब कभी-कभी चांद देखने के बजाय अपनी कैलेंडर व्यवस्था पर निर्भर रहता है. यही वजह है कि दुनिया के कुछ हिस्सों में लोग सऊदी अरब के चांद की घोषणा से असहमत रहते हैं और स्थानीय चांद देखने की परंपरा को अपनाते हैं.
भारतीय मुसलमानों को क्या सलाह दी गई है?
इस पूरे मामले पर इस्लामिक विद्वानों का कहना है कि मुसलमानों को अपने देश के चांद को देख कर ही रमजान और ईद के दिनों का पालन करना चाहिए. इस्लामक्यू.इन के मुताबिक, अगर आपकी मुल्क में शरिया के मुताबिक चांद देखा जाता है, तो आपको उसी पर विश्वास करना चाहिए. दूसरे देशों के चांद का पालन करना न तो इस्लाम में जरूरी है और न ही उचित. अगर किसी कारणवश चांद न दिखाई दे, तो स्थानीय समितियां उस पर फैसला करती हैं.
क्या भारतीय मुसलमान सऊदी अरब के फैसले को मानें?
भारत में ईद की तारीख का ऐलान स्थानीय चांद देखने की प्रक्रिया पर निर्भर करता है. दिल्ली के जामा मस्जिद, फतेहपुरी मस्जिद और लखनऊ के मार्कजी चांद कमेटी जैसी प्रमुख मस्जिदों से ईद की घोषणा होती है. अगर भारत में चांद नहीं दिखता तो ईद की तारीख बदल सकती है. इस्लाम में हर देश को अपनी स्थानीय परंपराओं का पालन करने का अधिकार है और किसी दूसरे देश के चांद देखने का अनुसरण करना जरूरी नहीं है.
इस साल सऊदी अरब ने अपनी पूर्व निर्धारित तारीख के हिसाब से ईद घोषित की, हालांकि खगोलशास्त्रियों का कहना है कि इस दिन चांद दिखाई नहीं दिया था. ऐसे में भारतीय मुसलमानों को अपनी स्थानीय चांद देखने की परंपरा का पालन करते हुए ईद मनानी चाहिए. इस्लाम में चांद की नज़र पर आधारित तारीख का पालन करना अधिक उचित माना गया है, न कि दूसरे देशों की घोषणा पर. इसलिए, सऊदी अरब के चांद की घोषणा को लेकर विवादों के बावजूद, भारतीय मुसलमानों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपनी स्थानीय परंपराओं का पालन करें और एकजुट होकर ईद मनाएं.