US-India Drone Deal: भारत को अमेरिका से मिलने वाले MQ-9B ड्रोन को लेकर रास्ता साफ हो गया है. अमेरिकी सरकार ने इस डील को लेकर मंजूरी दे दी है. अमेरिका की डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी ने भारत को 31 MQ-9B ड्रोन देने को लेकर सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया है और ये कागजात अमेरिकी कांग्रेस को सौंप दिया गया है. भारत 3.99 बिलियन डॉल खर्च करके 31 की संख्या में MQ-9B ड्रोन खरीद रहा है.


एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक MQ-9B ड्रोन की खासियत है कि यह लंबे समय तक हवा में रह सकता है और काफी ज्यादा ऊंचाई से निगरानी कर सकता है. इस ड्रोन में हाई एल्टीड्यूड लांग रेंज के कैमरे लगे हैं. MQ-9B ड्रोन लगातार चार मिसाइल दागने में भी सक्षम है. इसका उपयोग भारतीय नेवी, एयरफोर्स और थल सेना तीनों करेंगी. यह ड्रोन हर तरह के मौसम में काम करने में सक्षम है. एक ड्रोन 1900 किलोमीटर तक निगरानी कर सकता है. MQ-9B ड्रोन इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह रडार की पकड़ में नहीं आता है. यह ड्रोन काफी ऊंचाई पर जाकर काम करता है और रिमोट से कंट्रोल किया जाता है.


डील के तीन साल बाद होगी ड्रोन की सप्लाई
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी कांग्रेस अब इस प्रस्तावित डील का रिव्यू करेगी. रिव्यू के लिए अमेरिकी कांग्रेस के पास 30 दिन का वक्त है. रिव्यू होने के बाद भारत और अमेरिका के बीच डील पक्की की जाएगी. वहीं पूरी तरह से सौदा होने के तीन साल बाद अमेरिका MQ-9B ड्रोन की डिलीवरी शुरू करेगा. बीते साल जून महीने में भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने 31 MQ-9B ड्रोन अमेरिका से खरीदने को लेकर मंजूरी दी थी. इन ड्रोन की सप्लाई अमेरिका की कंपनी जनरल अटॉमिक्स करेगी. 


अमेरिका से मिलने वाले 31 MQ-9B ड्रोन दो तरीके के होंगे, सी-गार्डियन और स्काई गार्डियन. इनमें से 15 सी गार्डियन ड्रोन को इंडियन नेवी को दिया जाएगा. वहीं 16 स्काई गार्डियन ड्रोन में से 8 इंडियन आर्मी को और 8 इंडियन एयरफोर्स को दिया जाएगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक G20 समिट के दौरान पीएम मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति से भी इस डील को लेकर चर्चा की थी, जिसके बाद इस डील पर कार्रवाई तेज हुई है. 31 अमेरिकी ड्रोन के साथ भारत को तीन तरह की मिसाइल भी मिलेंगी, इनमें ट्रेनिंग करने वाली मिसाइलें भी शामिल होंगी.


MQ-9B ड्रोन से निगरानी करने में मिलेगी मदद
इस ड्रोन से भारतीय नेवी को सबसे अधिक मदद मिलेगी, क्योंकि जितना बड़ा भारत उससे तीन गुना बड़ा हिंद महासागर है. इस क्षेत्र की निगरानी करना नेवी के लिए काफी मुश्किल भरा काम है. अमेरिकी ड्रोन आने के बाद दुश्मन के जहाजों पर नजर रखने में भारत को मदद मिलेगी. इसी क्षेत्र से दुनियाभर की कामर्शियल शिप भी जाती हैं, जिनपर भारत नजर रख सकेगा. वहीं चीन की सीमा पर पहाड़ी क्षेत्र में भी वायुसेना और थल सेना को इन ड्रोन की मदद से निगरानी करना आसान होगा. 


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