Afghanistan News: अमेरिका ने अफगानिस्तान में जिन बेस को तैयार किया था और वहां जो हथियार रखे थे, वो तालिबान के हाथों ना लग सके, इसलिए उसने शांति समझौते के बाद ही उन्हें अपने देश वापस भेजना शुरू कर दिया था. लेकिन बीस सालों में जुटाया गया हथियार, चंद महीनों में भेजना ना तो मुमकिन था और ना ही सस्ता. इसलिए अमेरिका और नाटो फोर्सेज ने हथियारों को डिस्मेंटल करना शुरू कर दिया.


अमेरिका ने हथियारों के साथ क्या किया?



  • गोलियों को कंट्रोल्ड ब्लास्ट में खत्म किया गया.

  • बंदूकों को टुकड़े-टुकड़े किए गए.

  • जिन कंटेनर्स को कम्युनिकेशन सिस्टम में बदला गया था, उन्हें तोड़ा गया.

  • छोटे हथियारों को गलाया गया.

  • तारों तो तीन-तीन सेंटीमीटर तक के टुकड़ों में काटा गया, ताकि तालिबानी उनसे बम ना बना सकें.

  • जो हथियार काटे या गलाए नहीं जा सकते थे, अमेरिकी सैनिकों ने उन्हें पूरी तरह तोड़-फोड़ दिया.


हामिद करजई इंटरनेशन एयरपोर्ट अफगानी सेना के लड़ाकू विमानों और हेलिकॉप्टर्स का बेस भी था. अमेरिकी सैनिक जाते-जाते युद्द के हर साजों सामान को कबाड़ में बदल चुके थे. बावजूद इसके अमेरिका पूरी तरह से कामयाब नहीं हो सका.


तालिबान के कब्जे में कौन कौन से हथियार हैं?


तालिबान ने अमेरिका के 33 Mi-17, 33.. UH-60 ब्लैकहॉक हेलीकॉप्टर्स और 43 MD-530 हेलीकॉप्टर्स पर कब्जा कर लिया. इसके अलावा 64 हजार से ज्यादा मशीनगन, 3 लाख 58 हजार से ज्यादा असॉल्ट राइफल, 1 लाख 26 हजार से ज्यादा पिस्टल, 176 तोप, 1 लाख 62 हजार से ज्यादा वॉकी टॉकी और 16 हजार से ज्यादा नाइट विजन यंत्रों पर तालिबानियों ने कब्जा किया है.


अगर एयरक्राफ्ट्स की बात करें तो चार C-130 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, 23 छोटे एयरक्राफ्ट्स और 38 सेसना एयरक्राफ्ट्स पर भी कब्जा किया है.


अमेरिका की ढेर सारी बख्तरबंद गाड़ियां भी अब तालिबान के कब्जे में हैं. जैसे 22 हजार से हमवी, 634 M- 1117, 169 - M113, और 155 MXX PRO गाड़ियां तालिबानियों के कब्जे में हैं. इसके अलावा 42 हजार बड़ी गाड़ियां और 8 हजार ट्रक भी तालिबान के कब्जे में आ चुके हैं.


अरबों रुपए खर्च करने के बाद भी अमेरिका की मुट्ठी खाली


अफगानिस्तान में सिर्फ युद्ध में अमेरिका ने 2.26 ट्रिलियन डॉलर यानि करीब 165 लाख करोड़ रुपए खर्च किए. इसमें 58.40 लाख करोड़ रुपए सीधे युद्ध में खर्च किए गए. हर दिन तकरीबन 2,189 करोड़ रुपए खर्च किए गए. लेकिन इतना पैसा बहाने के बाद भी अमेरिका की की मुठ्ठी खाली रह गई. ऊपर से उसके सुपरपावर की छवी को भी धक्का पहुंचा. जिस तालिबान को अमेरिका ने खतरा बताया था, वो उसके छोड़े हथियारो से और ताकतवर हो चुका है. लेकिन अफगानिस्तान आज भी वहीं खड़ा है, जहां बीस साल पहले खड़ा था.


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