रूस-यूक्रेन युद्ध को अब 40 दिनों से अधिक का समय हो गया है. ऐसे में रूस ने पहली बार इस युद्ध में हुए अपने भारी सैन्य नुकसान को स्वीकारा है. रूसी सेना के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने गुरुवार को एक मीडिया ब्रीफिंग में स्वीकार किया है कि इस युद्ध में रूस को काफी मात्रा में सैनिकों की जान गंवानी पड़ी है. हालांकि इस दौरान दिमित्री ने हताहत हुए सैनिकों की संख्या नहीं बताई है. 


इस दौरान दिमित्री ने यूक्रेन के बूचा में नरसंहार की घटना से इनकार किया है. ब्रिटेन के स्काई न्यूज को दिए गये इंटरव्यू में दिमित्री ने कहा कि मारे गये सैनिकों की संख्या हमारे लिए दुख का विषय है. हालांकि उन्होंने अपने मारे गये सैनिकों की संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है. वहीं इससे पहले रूस ने मार्च में अपने 1,351 सैनिकों के मारे जाने की पुष्टी की थी और कुल 3,825 सैनिकों के घायल होने की पुष्टी की थी. 


बूचा एक पूर्व नियोजित साजिश


दिमित्री ने स्काई न्यूज से कहा कि हम इस बात से इनकार करते हैं कि रूसी सेना ने बूचा में ऐसा कोई काम किया है. उन्होंने आगे कहा कि मारे गए यूक्रेनी नागरिकों की तस्वीर रूस को बदनाम करने की एक पूर्व नियोजित साजिश हैं. हम इन तस्वीरों की वैधता से इनकार करते हैं.


अमेरिका ने रूस को यूएन से किया निलंबित 


वहीं संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व की शीर्ष मानवाधिकार संस्था से रूस को गुरुवार को निलंबित कर दिया. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) से रूस को निलंबित करने के लिए अमेरिका ने प्रस्ताव पेश किया था. 193 सदस्यीय महासभा (UNGA) में प्रस्ताव के पक्ष में 93 मत पड़े, जबकि भारत सहित 58 देश अनुपस्थित रहे. ‘मानवाधिकार परिषद में रूसी संघ की सदस्यता के निलंबन अधिकार’ शीर्षक वाले प्रस्ताव के खिलाफ 24 मत पड़े थे. ऐसे में प्रस्ताव पारित हो गया.


रूसी सैनिकों द्वारा आम नागरिकों की हत्या के वायरल हुए थे वीडियो 


बता दें कि रूसी सैनिकों द्वारा यूक्रेन के बूचा शहर में की गई नागरिकों की हत्याओं की तस्वीरें एवं वीडियो सामने आने के बाद अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने 47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद से रूस को निलंबित करने का अभियान शुरू किया था. अब रूस को यूएनएचआरसी से बाहर कर दिया गया है. उल्लेखनीय है कि रूस दूसरा देश है, जिसकी यूएनएचआरसी सदस्यता छीन ली गई है. महासभा ने 2011 में लीबिया को परिषद से निलंबित कर दिया था.


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