Britain Role in Slavery: ब्रिटेन ने जब दुनिया के अलग-अलग हिस्सों पर कब्जा जमाया हुआ था. उस वक्त उसने दासता या कहें गुलामी की प्रथा को बढ़ावा दिया. अफ्रीका, भारत समेत कई मुल्कों से लोगों को गुलाम बनाकर कैरिबियाई देशों में काम करने के लिए भेजा गया. ब्रिटेन के जो लोग दास व्यापार में शामिल थे, उन्होंने खूब कमाई की. लेकिन अब इन्हीं लोगों के परिवार के सदस्य अपने पूर्वजों की गलतियों के लिए माफी मांग रहे हैं. 


ब्रिटेन के सबसे प्रसिद्ध प्रधानमंत्रियों में से एक विलियम ग्लेडस्टोन का परिवार इस हफ्ते गुलामी में अपनी ऐतिहासिक भूमिका को लेकर माफी मांगने के लिए कैरेबियाई रीजन की यात्रा पर जा रहा है. विलियम ग्लेडस्टोन के परिवार के छह लोग गुरुवार को गुयाना पहुचेंगे. वो ऐसे मौके पर गुयाना पहुंच रहे हैं, जब यहां 200 साल पहले अगस्त 1823 में गुलामों की बगावत की वर्षगांठ मनाई जा रही है. इस विद्रोह की वजह से ही गुलामी प्रथा खत्म होने का रास्ता साफ हुआ. 


क्या है दास प्रथा में ग्लेडस्टोन परिवार का रोल?


विलियम ग्लेडस्टोन 19वीं सदी में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे. उनकी पहचान एक उदारवादी और सुधारवादी नेता के तौर पर होती है. विलियम के पिता जॉन ग्लेडस्टोन के कैरिबियन में चीनी के बागान थे. यहां पर उन्होंने अफ्रीका से लाए गए गुलामों को काम पर रखा हुआ था. इसी कमाई से ग्लेडस्टोन परिवार ने पैसा बनाया. 1823 में गुलामों के विद्रोह के बाद 1833 में ब्रिटेन ने गुलामी उन्मूलन अधिनियम पारित किया. इससे दासता के खत्म होने का रास्ता साफ हुआ. 


वहीं, जिन लोगों के कैरिबियन में चीन के बागान थे. उन्हें मुआवजा देने के लिए ब्रिटिश सरकार ने 20 मिलियन पाउंड (आज के करीब 16 अरब पाउंड) का फंड बनाया. इस फंड के जरिए जॉन ग्लेडस्टोन को काफी पैसा मिला था. जॉन ग्लेडस्टोन ने गुयाना और जमैका में 2,508 अफ्रीकियों को गुलाम बनाया हुआ था. इन लोगों के जरिए वह बागान से कमाई कर रहे थे. गुलामी उन्मूलन अधिनियम पारित होने के बाद ब्रिटिश सरकार ने जॉन को एक लाख पाउंड दिए थे.


माफी मांगने के अवाला दान करेगा परिवार


गुयाना पहुंच रहा ग्लेडस्टोन परिवार अपने पूर्वजों के जरिए किए गए अन्याय के लिए माफी मांगने वाला है. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि वह दास प्रथा के प्रभाव पर रिसर्च के लिए पैसे भी दान करेगा. परिवार के सदस्य चार्ली ग्लेडस्टोन ने कहा कि हमारे पूर्वज जॉन ग्लेडस्टोन ने मानवता के खिलाफ अपराध किए हैं. ये तो बिल्कुल साफ है. हम दुनिया को बेहतर बनाने के लिए अच्छा काम कर सकते हैं. इस दिशा में पहला कदम पीड़ित लोगों से माफी मांगना है. 


ग्लेडस्टोन परिवार गुयाना यूनिवर्सिटी के 'इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर माइग्रेशन एंड डायस्पोरा स्टडीज' की लॉन्चिंग पर माफी मांगने वाला है. इस इंस्टीट्यूट को एक करोड़ रुपये की फंडिंग भी दी जाएगी. गुयाना के लोगों से ये परिवार इसलिए माफी मांग रहा है, क्योंकि यहां पर ही सबसे ज्यादा गुलामों को रखा गया था. गुयाना में भारत से भी लोगों को गुलाम बनाकर रखा गया था. देश की 40 फीसदी आबादी भारतीय-गुयाना मूल के लोगों की है. इसलिए ये कहीं न कहीं भारत से भी माफी मांगने जैसा है. 


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