Turkiye Presidential Election 2023: इस्लामिक मुल्क तुर्किये (तुर्की) में आज (28 मई) राष्ट्रपति चुनाव के लिए फिर से वोटिंग हो रही है. यहां बीते 14 मई को भी वो​ट डाले गए थे, लेकिन तब किसी भी उम्मीदवार को 50% से ज्यादा वोट नहीं मिले थे, जिससे रन-ऑफ दौर की नौबत आ गई. यहां चुनाव का मुख्‍य मुकाबला पिछले 20 साल से तुर्किये की सत्‍ता पर काबिज रेसेप तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) और उनके निकटतम प्रतिद्वंदी कमाल केलिकदारोग्लू (Kemal Kilicdaroglu) के बीच है. 


ग्‍लोबल एक्‍सपर्ट्स की निगाहें इस चुनाव पर हैं, और वो राष्ट्रपति पद के उम्‍मीदवारों की हार-जीत को लेकर विश्‍लेषण कर रहे हैं. ज्‍यादातर लोगों के मन में सवाल ये उठ रहा है कि 6 विपक्षी पार्टियों का गठबंधन एर्दोगन की 20 साल की सत्ता को समाप्‍त कर देगा या फिर एर्दोगन ही सत्‍ता में बने रहेंगे. इसे लेकर पोलिटिको ने एक रिपोर्ट पब्लिश की, जिसमें दावा किया गया कि तुर्किये का 51% जनमत रेसेप तैयप एर्दोगन के साथ और, लोग उनकी कट्टर इस्‍लामिक छवि से खासा प्रभावित हैं. पोलिटिको के मुताबिक, तुर्किये के 51% लोग चाहते हैं कि एर्दोगन ही एक बार फिर देश के राष्ट्रपति बनें.




कमाल की होगी हार?
पोलिटिको ने एर्दोगन को टक्‍कर देने वाले कमाल केलिकदारोग्लू को हारते हुए दिखाया, उसके पोल रिजल्‍ट में बताया गया कि तुर्किये के 49% लोग चाहते हैं कि कमाल केलिकदारोग्लू को मौका मिलना चाहिए. बता दें कि ये आंकड़े रविवार 28 मई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए हो रही वोटिंग से ठीक पहले जारी किए गए, लिहाजा ये आंकड़े वहां के निर्णायक चुनाव के नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण हो जाते हैं. इससे पहले तुर्किये में बीते 14 मई को भी वो​ट डाले गए थे, लेकिन तब किसी भी उम्मीदवार को 50% से ज्यादा वोट नहीं मिले थे. तब एर्दोगन को 49.5% तो कमाल को 44.9% वोट मिले थे.




सत्‍ता में बने रहेंगे रेसेप तैयप?
74 साल के कमाल केलिकदारोग्लू तुर्किये के वो नेता हैं, जिन्‍हें वहां का 'गांधी' माना जाता है. वह महात्मा गांधी की तरह ही चश्मा पहनते हैं, उन्हीं की तरह राजनीतिक शैली भी विनम्र है. तुर्किये में मुख्य विपक्षी दल रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (CHP) की ओर से उन्हें राष्ट्रपति चुनाव में रेसेप तैयप एर्दोगन के ख़िलाफ़ खड़ा किया गया. कमाल 6 विपक्षी पार्टियों के गठबंधन से उम्‍मीदवार हैं, वहीं, सख्‍त छवि वाले एर्दोगन खुद को 'पक्‍के मुस्लिम' नेता के रूप में पेश करते हैं, और उनका तुर्किये की राजनीति में खासा प्रभाव रहा है. अब तक के चुनावी निष्‍कर्ष से माना जा रहा है कि वो ही सत्‍ता में बने रहेंगे. 


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