Turkey Vs Kurds: तुर्की (Turkey) के इस्तांबुल (Istanbul) में रविवार (13 नवंबर) को हुए बम धमाके (Istanbul Explosion) के पीछे प्रतिबंध‍ित कुर्दिस्‍तान वर्कर्स पार्टी (PKK) का नाम आ रहा है. तुर्की के गृहमंत्री सुलेमान सोयलू (Suleyman Soylu) ने कहा है कि उन्हें जानकारी मिली है कि आतंकी संगठन पीकेके हमले के लिए जिम्‍मेदार है. यह धमाका इस्तांबुल के व्यस्त इलाके इस्तिकलाल स्ट्रीट (Istiklal Street) पर शाम करीब सवा चार बजे हुआ था, जिसमें चार लोगों की मौत मौके पर हो गई थी जबकि दो लोगों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था. 


अब तक इस धमाके के चपेट में आए छह लोगों की मौत हो चुकी है और 81 लोग घायल बताए जा रहे हैं. पुलिस ने अब तक करीब दो दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस के मुताबिक, धमाके की एक आरोपी अहलम अबाशीर ने हमले के संबंध में कई बातें कबूली हैं. स्थानीय मीडिया के मुताबिक, अबाशीर का संबंध कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी से होने की बात सामने आ रही है. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन (Recep Tayyip Erdogan) ने धमाके को आतंकी हमला बताया है. शक की सुई कुर्दों की तरफ है. आखिर कौन हैं कुर्द, क्या है विवाद, आइए सब जानते हैं. 


कौन हैं कुर्द?


मेसोपोटामिया के मैदानी इलाकों, दक्षिण-पूर्वी तुर्की, उत्तर-पूर्वी सीरिया, उत्तरी इराक, उत्तर-पश्चिमी ईरान और दक्षिण-पश्चिमी आर्मेनिया के पहाड़ी क्षेत्रों में एक बड़ा जातीय समूह सदियों से रहता आ रहा है. वर्तमान में इसकी आबादी करीब साढ़े तीन करोड़ आंकी जाती है. दुनिया में मध्य पूर्व के हिस्से में यह चौथा बड़ा जातीय समूह है. इसी को कुर्द कहते हैं लेकिन अलग-अलग हिस्सों में फैले इस समूह के पास एक स्थायी देश नहीं है. कुर्द वर्षों से अपने एक अलग देश यानी मातृभूमि के अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. 


कुर्दों की कोई मानक भाषा नहीं है. कई कुर्द लोग अलग-अलग धर्मों और पंथों का पालन करते हैं लेकिन बहुसंख्यक आबादी सुन्नी मुस्लिम है. नस्ल, संस्कृति और बोली ही उन्हें एकजुट करती है.


क्यों नहीं है कुर्दों का कोई देश?


20वीं सदी की शुरुआत में कई कुर्दों ने अपना अलग देश बनाने पर विचार किया. उन्होंने कुर्दिस्तान के तौर पर इसकी कल्पना की. अब वे कई संगठनों में बंट चुके हैं. कुर्द कभी ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा थे. पहले विश्व की युद्ध की समाप्ति और ओटोमन साम्राज्य की हार के बाद जीतने वाले पश्चिमी देशों ने 1920 की सेव्रेस संधि में कुर्द राज्य के लिए प्रावधान किया था. 


प्रथम विश्वयुद्ध में तुर्की, जर्मनी की ओर से लड़ा था और हार गया था. इसके बाद 10 अगस्त 1920 को उसे मित्र देशों से संधि करनी पड़ी थी. इसी को सेव्रेस की संधि कहा जाता है. सेव्रेस, फ्रांस की एक ग्रामसंस्था को कहते हैं. कुर्द राज्य की उम्मीदें तीन साल बाद धराशायी हो गईं. 1923 में तुर्की और यूनान यानी ग्रीस के बीच में लोजान (स्विटजरलैंड का एक शहर) संधि हुई. जिसने वर्तमान तुर्की की सीमाओं को निर्धारित किया और कुर्द राज्य के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी गई. दोनों ने कुर्दों को अपने देशों में अल्पसंख्यक का दर्जा दिया. इसके बाद अगले आठ दशकों में कुर्दों की ओर से एक स्वतंत्र देश स्थापित करने के किसी भी कदम को बेरहमी से कुचल दिया गया. 


कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी ने जब शुरू की जंग


1978 में अब्दुल्ला ओकलान ने कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) की स्थापना की. इस पार्टी ने तुर्की के भीतर एक स्वतंत्र राज्य का आह्वान किया. छह साल बाद इस संगठन ने सशस्त्र संघर्ष शुरू कर दिया. दावा किया जाता है कि तब से इस संगठन ने 40,000 से ज्यादा लोगों की जान ले ली और इसके कारण हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं. 1990 के दशक में पीकेके आजादी की अपनी मांग से पीछे हट गया और इसकी जगह स्वशासित जाति के होने के अधिकार की मांग की लेकिन लड़ाई जारी रही. 2013 में गुप्त वार्ता के बाद युद्धविराम पर सहमति बनी. 2015 में सीरिया के पास एक कुर्द शहर सुरुक में आईएस पर एक आत्मघाती हमला हुआ, जिसमें 33 युवा कार्यकर्ताओं की मौत हो गई और इसी के साथ युद्धविराम समाप्त हो गया. 


पीकेके ने अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप लगाया और तुर्की के सैनिकों और पुलिस जवानों हमला कर दिया. इसके बाद तुर्की की सरकार ने पीकेके और आईएस के खिलाफ जंग छेड़ दी, जिसे 'सिंक्रोनाइज्ड वॉर ऑन टेरर' घोषित किया. तब से दक्षिण-पूर्वी तुर्की में हुई झड़पों में सैकड़ों नागरिकों समेत हजारों लोग मारे जा चुके हैं. x


वर्तमान में कहां किस स्थिति में कुर्द?


वर्तमान में तुर्की में सक्रिय कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी कुर्दों का सबसे बड़ा संगठन है, जिसकी विचारधारा मार्क्सवादी बताई जाती है और यह गुरिल्ला शैली पर लड़ता है. कुर्द तुर्की के दक्षिण-पूर्व में स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं. सीरिया में स्वायत्त राज्य बनाने के लिए कुर्दों का वाईपीजी नामक समूह लड़ रहा है. तुर्की इसे चरमपंथी संगठन बताता है. इराक के उत्तर-पश्चिम में कुर्दों को स्वायत्त राज्य हासिल है. यहां वे सबसे मजबूत बताए जाते हैं. 


सीरिया के उत्तर-पूर्वी इलाके में कुर्द अपना शासन चला रहे हैं. ईरान के उत्तर-पश्चिम में कुर्दों की मौजूदगी है लेकिन यहां वे कोई मुहिम नहीं चला रहे हैं. 


अमेरिका ले चुका है कुर्द का साथ!


तुर्की के अलावा, अमेरिका और यूरोपीय यूनियन भी पीकेके को उग्रवादी समूह मानते हैं. दावा किया जाता है कि सीरिया में इस्लामिक स्टेट से लड़ाई के लिए अमेरिका ने कुर्दों के वाईपीजी समूह का साथ लिया था लेकिन तुर्की के विरोध पर वह छिटक गया. 


कुर्दिस्तान की लड़ाई क्यों नहीं रंग ला रही?


जानकारों का कहना है कि कुर्दिस्तान बनाने की लड़ाई इसलिए रंग नहीं लाई क्योंकि कुर्द कई जगहों पर बंटे हुए हैं और एकजुट होकर नहीं लड़ पा रहे हैं. उनके आपसी हित भी कुर्दिस्तान की लड़ाई में आड़े आ रहे हैं.


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