Mumbai Terror Attack 2008: पाकिस्तानी मूल का तहव्वुर राणा 26/11 के आतंकवादी हमलों के बाद के दिनों में 'बहुत निश्चिंत' था. वह चाहता था कि मुंबई में इन हमलों को अंजाम देने वाले लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों को पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान मिले. दरअसल अमेरिका की एक अदालत ने मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को हरी झंडी दे दी है.


कैलिफोर्निया की कोर्ट ने जारी किया 48 पन्नों का आदेश
26/11 के मुंबई हमलों के साजिशकर्ताओं को न्याय के कटघरे में लाने की लड़ाई को लेकर भारत की एक बड़ी जीत में कैलिफोर्निया की सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की मजिस्ट्रेट जैकलीन चोलजियान ने बुधवार (17 मई) को 48 पन्नों का आदेश जारी किया. इसमें कहा गया कि 62 साल के राणा को भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत प्रत्यर्पित ‍किया जाना चाहिए.


इस आदेश में ये भी कहा गया कि अदालत ने इस अनुरोध के समर्थन और विरोध में प्रस्तुत सभी दस्तावेजों की समीक्षा की है और सभी दलीलों पर विचार किया है. इस तरह की समीक्षा और विचार के आधार पर अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि राणा को भारत प्रत्यर्पित किया जाना चाहिए. अदालत अमेरिका के विदेश मंत्री को प्रत्यर्पण की दिशा में कार्रवाई करने के लिए अधिकृत करती है.


राणा की हमलों में संलिप्तता और उसके दोस्त व लश्कर आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली के साथ संबंध के बारे में अमेरिकी अदालत में पेश प्रर्त्यपण की स्थिति के प्रमाणन और प्रतिबद्धता के आदेश संबंधी दस्तावेज के अनुसार, 25 दिसंबर, 2008 को दुबई में राणा से मिलने वाले एक सह-साजिशकर्ता ने हेडली को एक ईमेल भेजा था.


इसमें उसने पूछा था, "जो कुछ हो रहा है, उस पर (राणा की) कैसी प्रतिक्रिया है, वह डरा हुआ है या निश्चिंत है?' अगले दिन हेडली ने जवाब दिया कि राणा 'पूरी तरह निश्चिंत' है और उसे भी शांत करने की कोशिश कर रहा है."


इस दस्तावेज के अनुसार, राणा ने 7 सितंबर, 2009 को हुई बातचीत में हेडली से कहा था कि मुंबई हमलों में मारे गये 9 लश्कर आतंकवादियों को 'निशान-ए-हैदर सम्मान दिया जाना चाहिए. ये पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है.


राणा ने हेडली से यह भी कहा था कि वह मुंबई हमलों की योजना बनाने के लिए जिम्मेदार सह-साजिशकर्ताओं में से एक को बताए कि उसे शीर्ष वर्ग के लिए पदक मिलना चाहिए. दस्तावेजों में यह भी बताया गया है कि राणा यह जानकर खुश था कि हेडली ने उसके उन पूर्व बयानों के आधार पर उसकी तारीफ की थी, जिसमें उसने सह-साजिशकर्ता की तुलना एक मशहूर जनरल से की थी.


विस्तार से अपने तर्क का हवाला देते हुए कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि इस तरह न्यायालय ने पाया कि राणा ने आरोपित अपराधों को अंजाम देने का संभावित कारण पाया गया है जिसके लिए प्रत्यर्पण की मांग की गई है. 


संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत को प्रत्यर्पित किया जाना चाहिए. भारत ने प्रत्यर्पण के नजरिए से राणा की अस्थायी गिरफ्तारी की मांग करते हुए 10 जून, 2020 को एक शिकायत दर्ज की थी. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन ने राणा के भारत प्रत्यर्पण का समर्थन किया था और उसे मंजूरी दी थी.


आदेश में यह भी बताया गया है कि हेडली ने भारत में दिल्ली, गोवा और पुष्कर के चबाड हाउस के साथ-साथ नेशनल डिफेंस कॉलेज (NDC) पर भी निगरानी की. ये भारतीय सेना के उच्च-स्तरीय अधिकारियों, कर्नल और ऊपर के लोगों के लिए कोर्स कराता है. हेडली ने राणा को यहां की निगरानी को लेकर जानकारी दी.


7 सितंबर, 2009 की बातचीत में, हेडली और राणा ने NDC को निशाना बनाने पर चर्चा की थी. राणा ने हेडली को बताया कि वह पहले से ही जानता था कि NDC एक टारगेट था. उन्होंने इस बारे में बात की कि इस तरह के हमले से भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले युद्ध की तुलना में हाई रैंकिंग वाले भारतीय सैन्य अधिकारी अधिक मारे जाएंगे. राणा ने हेडली के लिए एक ईमेल खाता भी बनाया ताकि हेडली राणा के साथ सुरक्षित तौर से बातचीत कर सके.


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