नई दिल्लीः उत्तरी गोलार्ध में 21 जून यानी आज साल का सबसे लंबा रहेगा. इसे ग्रीष्म संक्रांति या ग्रीष्म का पहला दिन कहा जाता है. अंग्रेजी में इसे समर सोल्स्टिस (summer solstice) कहते हैं. इस दिन रात भी सबसे छोटी होती है. सोल्स्टिस शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द "सोल" से हुई है जिसका अर्थ सूर्य होता है और सेस्टेयर शब्द का अर्थ है स्थिर या स्थिर खड़े रहना. ग्रीष्म संक्रांति हर साल 20 से 22 जून के बीच होती है.


साल में दो बार होता सोल्स्टिस 
ग्रीष्म संक्रांति को मिडसमर, समर का पहला दिन, जून संक्रांति (उत्तरी गोलार्ध में) और वर्ष का सबसे लंबा दिन भी कहा जाता है. यह संक्रांति वर्ष में दो बार होती है. यह एक बार उत्तरी गोलार्ध में 20-22 जून के बीच और एक बार दक्षिणी गोलार्ध में 20-23 दिसंबर के बीच होती है. गौरतलब है कि इस बार इस दिन अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भी मनाया जा रहा है. 


कई देशों मे होता है समारोह का आयोजन
ग्रीष्म संक्रांति में सूर्य कर्क रेखा के ठीक ऊपर की तरफ होता है तो शीत संक्रांति में यह मकर रेखा के ऊपर होता है. उतरी गोलार्ध के कई यूरोपिय देशों में इसके नजदी मिडसमर समारोह भी आयोजित किए जाते हैं. इसके साथ ही दक्षिण गोलार्ध के देशों में इसे सर्दियों की शुरुआत माना जाता है और इसे विंटर सोल्स्टिस के रूप में मनाया जाता है. 


ग्रीष्म संक्रांति के साथ एक और दिलचस्प तथ्य भी जुड़ा हुआ है. इस दिन आर्कटिक में सूर्य पूरी तरह से नहीं डूबता है यानी यहां 24 घंटे अंधेरा नहीं होता है और सूर्य दिखाई देता है.


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