Sudan Crisis Explained: सूडान के गृह युद्ध से  पूरी दुनिया सकते में हैं, आखिर इसके पीछे की कहानी क्या है? ये समझने से पहले सूडान (Sudan) को जानना जरूरी है. दरअसल सूडान का जन्म ही सिविल वॉर से हुआ. साल 2011 दक्षिण सूडान से अलग होकर आज का सूडान बना.


क्षेत्रफल के हिसाब से सूडान अफ्रीका (Africa) का सबसे बड़ा देश है- अफ्रीका के उत्तर-पूर्व में बसे इस देश की सीमाएं सात देशों से लगती है. इसके उत्तर में मिस्र है, जबकि पूर्व में इरिट्रिया और इथियोपिया है.  इसके उत्तर-पूर्व में रेड sea है- जबकि साउथ में दक्षिण सूडान - चाड और लीबिया इसके पश्चिम में हैं. सूडान में पिछले दो साल से ही खूनी संघर्ष चल रहा है- और अब ये सिविल वॉर की हालत में पहुंच चुका है जिसमें तीन सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. 




सवाल है कि सूडान में हालात का जिम्मेदार कौन है? कौन है जो बेगुनाह लोगों पर गोलियां बरसा रहे हैं? इस तबाही के पीछे सूडान के दो कद्दावर चेहरे हैं, दो जनरल जिनकी जिद- जिनके वर्चस्व की लड़ाई की कीमत आमलोग चुका रहे हैं. पहला आर्मी चीफ जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान और दूसरा रैपिड सपोर्ट फोर्स का चीफ जनरल हमदान दगालो.


दो कद्दावरों की लड़ाई में फंसा सूडान
ये दोनों सूडान को दो पावर सेंटर हैं और इन दोनों की लड़ाई में ही पूरा सूडान फंसा है. सूडान की सेना की कमान जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान के हाथ में है जबकि हमदान दगालो  रैपिड सपोर्ट फोर्स यानी RSF के मुफिया है. दोनों के पास फौज की अपनी टुकड़ी है, हथियार हैं और दोनों की सेना आपस में ऐसे भिड़ी है कि इसने सूडान को जंग का मैदान बना दिया है.




2021 में हुआ तख्तापलट तभी हालात खराब
दरअसल सूडान में 2021 से ही सत्ता संघर्ष चल रहा है. आर्मी चीफ अब्देल फतेह अल बुरहान के हाथ में सरकार की कमान है जबकि रैपिड सपोर्ट फोर्स यानी RSF के मुफिया मोहम्मद हमदान दगालो नंबर दो माने जाते हैं- सूडान इन दो जनरलों की लड़ाई में ही फंसा है. सूडान में दो साल पहले तक नागरिक और सेना की संयुक्त सरकार थी लेकिन साल 2021 में सरकार का तख्ता-पलट कर दिया गया. इसके बाद से ही सेना और रैपिड सपोर्ट फोर्स में ठनी है.


अपनी अपनी जिद पर अड़े दोनों जनरल
फतेह अल बुरहान और हमदान दगालो अपनी जिद पर अड़े हैं- खासकर सेना और रैपिड सपोर्ट फोर्स के विलय को लेकर. करीब एक लाख सैनिकों वाले रैपिड सपोर्ट फोर्स का अगर सेना में विलय होता है तो नई सेना का नेतृत्व कौन करेगा. इसपर सहमति नहीं बन पाई है- यही नहीं फतेह अल बुरहान चाहते हैं कि उनकी सेना किसी निर्वाचित सरकार को ही सत्ता हस्तांतरित करेगी- लेकिन यहां भी हमदान दगालो से कोई सहमति नही बन पाई है.


2013 में वजूद में आया RSF
सूडान में रैपिड सपोर्ट फोर्स साल 2013 में वजूद में आया. ये अर्धसैनिक बल की तरह है और ये सेना से अलग है. माना जाता है कि रैपिड सपोर्ट का ताकतवर होना भी सूडान सिविल वॉर की बड़ी वजह है. रैपिड सपोर्ट फोर्स के लड़ाकों ने सूडान के सोने की खानों पर भी कब्जा कर लिया है जिसपर देश की इकोनॉमी टिकी है.


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