Sri Lanka Political Crisis: श्रीलंका में रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से वहां एक बार फिर से सरकार विरोधी प्रदर्शन तेज होने लगे हैं. प्रदर्शनकारियों ने गॉल फेस में राष्ट्रपति सचिवालय (President's Secretariat) के कुछ कमरों पर कब्जा कर लिया था. पुलिस और स्पेशल टास्क फोर्स के जवानों ने तनावपूर्ण हालात के दौरान नौ लोगों को गिरफ्तार किया और कई प्रदर्शनकारी इस दौरान घायल हो गए.


पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई इस झड़प को लेकर श्रीलंका में विपक्ष के नेता साजिथ प्रेमदासा (Sri Lanka LoP Sajith Premadasa) ने सरकार पर हमला बोला है. प्रेमदासा ने सरकार पर निशाना साधते हुए प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के एक्शन को कायराना कदम बताया है. उन्होंने कहा, शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर इस तरह की हिंसक कार्रवाई ठीक नहीं है, जबकि वो लोग आज उस स्थान को खुद ही खाली करने वाले थे.


प्रेमदासा ने कहा इस कदम से श्रीलंका की छवि को हुआ नुकसान


प्रेमदासा ने सरकार के इस कदम को अहंकार में लिया गाय फैसला करार दिया. उन्होंने कहा सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर इस प्रकार से हमला कराकर मासूम लोगों की जिंदगियों को खतरे में डालने का काम किया है. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के फैसले लेकर सरकार ने अंतरराष्ट्रीय पटल पर श्रीलंका की छवि को नुकसान पहुंचाया है. हम निर्दोष और शांतिपूर्वक प्रदर्शनकारियों पर सरकार की इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना करते हैं.  


श्रीलंका में मचे सियासी और आर्थिक घमासान के बीच दिनेश गुणवर्धने (Dinesh Gunawardene) को श्रीलंका का नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया गया है. प्रदर्शनकारियों ने रानिल विक्रमसिंघे को नए राष्ट्रपति के रूप में स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. प्रदर्शनकारियों ने 9 जुलाई को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आवास को खाली कर दिया था. लेकिन वे अभी भी गॉल फेस में राष्ट्रपति सचिवालय के कुछ कमरों पर कब्जा किए हुए थे. 


आज दोपहर को आंदोलन खत्म करने की थी योजना


आपको बता दें कि पिछले सप्ताह सोशल मीडिया पर प्रदर्शनकारियों द्वारा एक पोस्ट शेयर किया गया था, जिसमें उन्होंने 22 जुलाई को दोपहर दो बजे तक अपना प्रदर्शन खत्म करने की योजना बनाने की बात कही थी. पोस्ट में लिखा गया था कि विक्रमसिंघे के इस्तीफा देने तक अपना संघर्ष जारी रखेंगे.


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