भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका आज कंगाली के कगार पर पहुंच गया है. यहां महंगाई आसमान छू रही है. देशभर में बिजली ठप है. बिजली की कमी से हालात ये हो गए कि अस्पताल में मरीजों की जरूरी सर्जरी भी नहीं हो पा रही, फैक्ट्रियों में कामकाज बंद है, कागज की किल्लत के कारण परीक्षाएं रद्द की जा रही, तेल की कमी से रेल-बस नेटवर्क ठप हो गया है. सप्लाई चेन पूरी तरह से टूट गई, घरों के चूल्हे बंद हो चुके हैं और खाने-पीने की चीजों की किल्लत ऐसी हो गई है कि दुकानों में लूटपाट होने लगी है.


श्रीलंका में चावल की कीमत 250 रुपए प्रति किलो पहुंच गई, गेंहू 200 रुपए किलो बिक रहा, चीनी 250 रुपए किलो है, नारियल तेल की कीमत 900 रुपए प्रति लीटर और मिल्क पाउडर 2000 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है. देश की इस हालत के लिए लोग सिर्फ और सिर्फ श्रीलंका की राजपक्षे सरकार को जिम्मेदार मान रहे हैं. खास तौर से श्रीलंका की सरकार के परिवारवाद को लोग जिम्मेदार मान रहे हैं. क्योंकि श्रीलंका सरकार के पांच बड़े चेहरे राजपक्षे परिवार से ही हैं.


ICU में श्रीलंका की अर्थव्यवस्था



  • अप्रैल 2021 का कर्ज- 3500 करोड़ डॉलर

  • अप्रैल 2022 का कर्ज- 5100 करोड़ डॉलर


अप्रैल 2021 में श्रीलंका पर कुल कर्ज 3500 करोड़ डॉलर का था, जो महज एक साल में बढ़कर 5100 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया है. श्रीलंका के कर्ज में ज्यादातर हिस्सा ऐसे कर्ज का है, जिसे न चुका पाने की उसे भारी कीमत देनी पड़ी रही है.


श्रीलंका ने कहां से लिया कर्ज



  • बाजार                             47%

  • चीन                               15%

  • एशियन डेवलेपमेंट बैंक    13%

  • वर्ल्ड बैंक                        10%

  • जापान                           10%

  • भारत                             2 % 

  • अन्य                              3%


श्रीलंका पर जितना कर्ज है, उसमें 47 फीसदी कर्ज तो बाजार से लिया गया है. इसके बाद 15 फीसदी कर्ज चीन का है, एशियन डेवलेपमेटं बैंक से 13 फीसदी, वर्ल्ड बैंक से 10 फीसदी, जापान से 10 फीसदी भारत से 2 फीसदी और अन्य जगहों का कर्ज 3 फीसदी है. श्रीलंका सरकार ने कर्ज लेकर तो खूब ऐश की, लेकिन अब वक्त चुकाने आया है तो खजाना खाली है, जनता सड़क पर है और विपक्ष उसके साथ खड़ा है, जिससे पूरी राजपक्षे सरकार की नींद उड़ गई है. विपक्ष आने वाले दिनों में प्रदर्शनों को और तेज करने की बात कह रहा है.




विपक्ष के नेता सजिथ प्रेमदासा ने एक बयान में कहा, 'हम अपना विरोध कम नहीं करने वाले, हमारी मांगे देश की जनता की मांगें है और हम अपनी मातृभूमि के लोगों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं.' ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर श्रीलंका ऐसी हालत में क्यों पहुंचा.


कैसे दिवालिया हुआ श्रीलंका?
श्रीलंका के दिवालिया होने के कई कारण है, इसमें सरकार की नीतियां भी जिम्मेदार है और कुछ कोरोना भी. 



  • श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर काफी निर्भर थी

  • कोरोना के कारण पर्यटकों की कमी के बुरा असर हुआ

  • भ्रष्टाचार पर सरकार ने लगाम नहीं लगाई

  • रासायनिक उर्वरक पर पाबंदी से उत्पादन गिर गया

  • अनाज उत्पादन घटने से महंगाई बढ़ गया

  • पर्यटकों और उत्पादन की कमी से विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो गया

  • चीन से कड़ी शर्तों पर लिया कर्ज ने बेडा गर्क किया

  • नाराज जनता को लुभाने के लिए फ्री की स्कीम ने दिवालिया कर दिया


श्रीलंका के दिवालिया होने में सरकार की गलत नीतियां सबसे ज्यादा जिम्मेदार है. जिसमें एक बड़ी गलती जनता को लुभाने के लिए मुफ्त का खेल भी है, ये खेल भारत में भी तेजी से पनप रहा है और अब देश के नौकरशाहों ने इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी को भी आगाह किया है.


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